जब समाज में
कुरीतियों का बोलबाला हो जाता है तो उनको दूर करने के लिए समाज के प्रबुद्ध लोगो
द्वारा एक विधान की रचना करते है जिसमे सामाजिक कुरीतियों को दूर करने तथा सामाजिक
और आर्थिक प्रगति के लिए नियम विनियम होते है जिनका पालन समाज के सभी सदस्यों को
करना होता है l समाज का सुव्यवस्थित तरीके
से संचालन करने के उद्देश्य से समाज द्वारा बनाए गए नियम विनियमों को सामाजिक
विधान या कानून कहते हैं।
यह सर्वविदित है
कि विधान में जिस प्रकार प्रत्येक व्यक्ति के अधिकार होते है उसी प्रकार प्रत्येक
व्यक्ति के कर्तव्य भी होते है l अधिकार और कर्तव्य को एक दुसरे से अलग नहीं किया
जा सकता l अधिकारों की वजह से हम समाज का विकास कर पाते है और कर्तव्यों के कारण
हम समाज के क्रिया कलापो का सुचारू रूप से संचालन कर पाते है l अधिकार और कर्तव्य
एक ही सिक्के के दो पहलु होते है l अपने अधिकारों के द्वारा समाज से लाभ लेना तथा
समाज के प्रति अपना कर्तव्य निभाना एक सामाजिक व्यक्ति के अच्छे लक्षण होते है l
समाज के सदस्य के
रूप में हमे विधान के कानून का पालन करना, अनुशासित रहना और समय समय पर विभिन्न
शुल्क व चंदे का जमा कराना महतवपूर्ण उतरदायित्व है l जिस तरह हम प्रत्येक दिन की
दिनचर्या के प्रति सचेत रहते है ठीक उसी प्रकार हमे समाज के प्रति भी अपने
कर्तव्यों के लिए चेतन रहना चाहिए l कर्तव्यों के अतिरिक्त सामाजिक चुनावो के
दौरान बिना किसी डर के मतदान करना सभी सदस्यों का उतरदायित्व है l जागरूक सामाजिक
सदस्य समाज की उचित नीतियों का पूर्ण समर्थन करते है और अनुचित नीतियों का खुलकर
विरोध भी करते है l
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