Friday, May 20, 2016

नेतराम पिंगोलिया द्वारा लिखे पत्र





ार्यकारणी सदस्य तक नहीं बनाते, ऐसे बोखलाए हुए लोगो से अपनी दूरी बनाकर रखेंऔर इनकी किसी बात का जवाब ना दें. इनका बस चले तो बच्चे को जन्म देने वाली माँ में भी कमी निकाल सकते हैं की समय से पांच मिनट पहले या बाद में बच्चा क्योँ पैदाहुआ? कर्प्या समाज की उन्नति में लगें रहे इनसे उलझने का मतलब कीचड़ में पत्थर मारने के बराबर है, सावधान रहें इनसे, ये दिमागी रूप से हिले हुए है, धन्यवाद . नेत राम पिंगोलिया , दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष
Like
Comment
Comments
Mukesh Pingolia Chacha ji ab apne samaj ke bachho ke liye school college banane ke liye bhi koi kadam uthao
Prithvi Barolia Raigar ये बोखलाया हुआ व्यक्ति इसलिए परेशान नहीं कि इनको किसी ने कुछ कहा है ये इसलिए परेशान है कि इन्होने जो समूह बनाया हुआ है उस समूह के एक सदस्य की दो तीन दिन पहले सोशल मीडिया पर बहुत छीछालेदर हुई है वो तो गश खाकर गिर पड़े लेकिन ये उनको सांत्वना देने के लिए ऐसा बयान दे रहे हैं।
इनको चाहिए था कि पहले ये अपने साथी को ये समझाते कि किसी की पोस्ट पर अगर आपको पसंद नही तो उस पर अनावश्यक टिप्पणी न करो उसको नजरंदाज करो। 
इनके साथी ने एक रैगर बन्धु की पोस्ट पर लिखा कि "समाज की आड़ में दुकानदारी" इस टिप्पणी पर जो वार्ता हुई उसी से हताश होकर ये सब लिख रहे हैं।
Sanjay Parsoya Prithvi Barolia Raigar ji 
मैं भी उस पोस्ट से अवगत हूँ
LikeReply3April 2 at 7:07pm
Prithvi Barolia Raigar संजय भाई ये लोगों में दूरियां ही पैदा कर सकते हैं। लोगों को एकजुट करने में इनकी कोई दिलचस्पी नहीं है।
Mukesh Gadegawliya Raigar नेतराम जी इन लोगो ने जिंदगी में एक समाज के लिए नेक काम तो किया नही । बकवास करते रहते है । अपने आपको चौधरी समझने वाले लोगो के पास समाज हित में समाज के लिए कुछ नही किया ।है मैने स्वघोषित नेताओ को कई बार पूछा है आप लोगो ने समाज के लिए एक काम भी किया हो तो समाज को बताओ मगर यह ज्ञान चन्द लोग अंसुणा कर देते है ।
LikeReply1April 2 at 7:57pm
Mukesh Gadegawliya Raigar यह लोग अपने आपको समाज के ठेकेदार समझते है । कोई एक काम अच्छा करके दिखाये । मगर इनका दोष नही है ।जिनके खून में ही दुनिया पर झूठे आरोप लगाने का संचार हो रहा हो तो आप नही रोक सकते है । हमे तो समाज हित में जनकल्याण के लिए कार्य करना है और निरन्तर करते रहना है ।हाथियों को कुत्ते बहुत भोकते है
Khajan Singh Baroliya आदरणीय मुकेश गाडेगाँवलिया जी,,,आपका आचरण ठीक नही है,,सभ्य भाषा का प्रयोग करने की कृपा करें,,हम सब समाज रुपी वर्षा की अलग अलग बूंदें हैं,,यह सब ठीक नही है ॥कुछ गलत लिखा हो तो कृप्या क्षमा करें ॥
LikeReply2April 2 at 8:32pm
Mukesh Gadegawliya Raigar Khajan Singh Baroliya हमने ऐसा क्या लिख दिया जो हमारे आचरण तक पहुच गए ।
LikeReply1April 2 at 8:52pm
Mukesh Gadegawliya Raigar => हरिवंशराय बच्चन जी की एक खूबसूरत कविता,,

"रब" ने. नवाजा हमें. जिंदगी. देकर;

और. हम. "शौहरत" मांगते रह गये;

जिंदगी गुजार दी शौहरत. के पीछे;
फिर जीने की "मौहलत" मांगते रह गये।

ये कफन , ये. जनाज़े, ये "कब्र" सिर्फ. बातें हैं. मेरे दोस्त,,,
वरना मर तो इंसान तभी जाता है जब याद करने वाला कोई ना. हो...!!

ये समंदर भी. तेरी तरह. खुदगर्ज़ निकला, 
ज़िंदा. थे. तो. तैरने. न. दिया. और मर. गए तो डूबने. न. दिया . . 

क्या. बात करे इस दुनिया. की 
"हर. शख्स. के अपने. अफसाने. हे"

जो सामने. हे. उसे लोग. बुरा कहते. हे, 
जिसको. देखा. नहीं उसे सब "खुदा". कहते. है....
Mukesh Gadegawliya Raigar ‘कारोबारी समाजसेवकों’ से सावधान..

अब समय आ गया है कि उन लोगों को मुंह तोड जवाब देने का जो समाज के ‘फ्र ेचाइजी ठेकेदार’ बने हुए हैं। इन लोगों का उद्देश्य समाज सेवा या समाज विकास नहीं बल्कि ‘खुद’ का विकास है। इनका बस चले तो ये समाज को बेच कर खा जाए और 
किसी को भनक भी न लगने दे। इनके लिए अपना स्वार्थ ही सर्वोपरी है। समाज के नाम पर चंदा वसूली इनका शगल बन गया है। लाखों की वसूली कर ‘कुछ हजार’ का कार्य करवाकर ‘करोड़ों’ का इन्वेस्ट दिखाने में इनको महारत है। ये ‘कारोबारी समाजसेवक ’ कई संस्थाओं से जुड़कर अपना ‘धंधा’ चमकाने में लगे हैं। ‘अवसरवाद’ तो इनके डीएनए में हैं। हाल ही में अखिल भारतीय रैगर समाज चुनाव में इन लोगों ने हवा का रूख भांप कर बड़ी चतुराई से पाला बदल अपना उल्लू सीधा कर लिया। हमारे स्वच्छ व निर्विवाद छवि के अध्यक्ष बीएल नवल साहब को इन लोगों से सावधान रहने की जरूरत है नहीं तो ये लोग उनके कार्यकाल पर अमिट बदनुमा दाग लगा उनकी ‘विरासत’ को कलंकित कर देंगे।
Khajan Singh Baroliya आदरणीय मुकेश जी,,आपने जो समाज के लोगों को हाथी और कुत्तों की संज्ञा दी इसलिये मैंने लिखा,,,आप जैसे प्रतिभावान लेखक को ऐसे शब्द शोभा नही देते ॥
LikeReply2April 2 at 10:00pm
Prithvi Barolia Raigar ये कुछ भी लिख सकते हैं आधिकारिक हैं। 
दूसरी पोस्ट पर कल रात को किसी ने कुछ लिख दिया इनके आकाओ को इसलिए साहब तिलमिला रहे हैं।
LikeReply1April 2 at 10:11pm
Prithvi Barolia Raigar कहने का जज्बा रखनेवालों में सहनशक्ति का आभाव देखने को मिला है।
LikeReply1April 2 at 10:13pm
Prithvi Barolia Raigar माननीय नेत राम जी पिंगोलिया,
मुझे ये पूर्णतः ज्ञात है के आपके द्वारा के गई अपील मुझ से जुडी हुई नहीं है, परंतु तब भी मुझे ऐसा लगा के ये किसी भी समाज के प्रतिनिधित्व के शब्द कतई नहीं होने चाहिए। अगर आप समाज के लोगो में ही दुरिया बनाने के पक्षधर है तो आप
को अध्यक्ष होने का अधिकार ही नहीं होना चाहिए, आपको कैसे है, है या नहीं मुझे ये भी पता नहीं। अध्यक्ष वो जो विपक्ष के लोगो को भी सम्मान दे सके, साथ ले के चल सके, इज़्ज़त दे सके, इज्जत करवा सके, इज्जत पा सके। दिल्ली में कितनी संस्थाये है आपको ये पता है, कितने लोग है आपको ये पता है, क्या जरुरत है ये पता है, कितने लोगो ने आपको अध्यक्ष बनाया, आपका समाज निर्माण में क्या योगदान है कृपया बताये, अध्यक्ष कब बनाया, कब चुनाव किया आपका????
समाज का भला करने जे लिए किसी संस्था का हिस्सा होना जरुरी नहीं है, सिर्फ इच्छा शक्ति की जरुरत है। अगर आप दूसरे के मत में बुराई ढूंढते है तो ये कतई उच्छित नहीं। कृपया कर के दुबारा ऐसे अनुचित शब्दों का चयन न करे जो किसी भी व्यक्ति को ठेस पोहुंचाए। समाज का प्रतिनिधित्व समाज सेवा के लिए होता है समाज पे शासन के लिए नहीं। मतभेद बोहुत ही स्वाभिवक है, आप सबमें मनभेद पैदा न करे।
आपको नमन।
आपका अपना
पुनीत राज बंदरवाल
(Advocate)
9654121121
रोहिणी, दिल्ली।
LikeReply2April 2 at 10:53pm
Anil Kumar Akarnia Respected sir, 
आपके विचारों का गहनतापूर्वक अध्ययन करने के बाद मैं आपके विचारों से बिल्कुल भी सहमत नहीं हूँ, क्योंकि आप समाज की एक बहुत महत्वपूर्ण संस्था के गरिमामय एवं प्रतिष्ठित अध्यक्ष पद पर विराजमान हैं और आपके द्वारा समाज 
के किसी भी व्यक्ति के लिए इस तरह की टिप्पणी करना उचित प्रतीत नहीं हाेता है। समाज के किसी भी महानुभाव के द्वारा यदि, आपसे कोई जानकारी या सूचना मांगी जा रही है ताे आप उन्हें मांगी गई सही जानकारी उपलब्ध करवा दीजिए। साथ ही, मैं यह भी कहना चाहूंगा कि जब तक समाज की संस्थाओं में पदाधिकारियाे की चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं हाेगी, पदाधिकारियाे काे नियुक्त करते समय नियमों का सही ढंग से पालन नहीं किया जाएगा, संस्थाओं के चुनाव समय पर नहीं हाेगें और एक व्यक्ति एक ही पद का फार्मूला लागू नहीं हाेगा, तब तक इस तरह के प्रश्न बार-बार उठते रहेगे ? परन्तु, कम से कम समाज में महत्वपूर्ण पदों पर आसीन महानुभावों के द्वारा भविष्य में इस तरह की भाषा का प्रयोग करने से पहले साेच विचार करना अति आवश्यक है। 
समाज के सभी महानुभावों से विनम्र अनुरोध है कि आप सभी साेशल साइट पर समाज से संबंधित या आपस में टिप्पणी करते समय संयम रखें और उचित भाषा का ही प्रयोग करें, साथ ही यह भी ध्यान रखें कि इससे समाज की प्रतिष्ठा एवं गाैरवमय छबि पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?
LikeReply3April 3 at 3:05pmEdited
Prithvi Barolia Raigar जिन जिन लोगों ने इनकी पोस्ट पर अपनी आपत्ति जताई है ये सिर्फ उन लोगों को प्रभावित् करने की कार्यवाही करेंगे। जबकि इनको चाहिए कि ये अपना आचरण सुधारे अपनी गलती को सार्वजनिक रूप से स्वीकार करें।
LikeReply1April 3 at 8:12am
दिल्ली प्रदेश समाज श्री नेतराम जी आपके 700 से अधिक मित्र हैं फेसबुक पर लेकिन आपकी पोस्ट को मात्र 12 लोगों ने like किया। इसका मतलब आप समझे कि आपकी बात को किसी ने भी पसन्द नही किया। तथा Anil Kumar AkarniaKhajan Singh BaroliyaPrithvi Barolia Raigar तथा श्री पुनीत राज ब...See More
LikeReply2April 3 at 12:46pm
D L Regar बहुत अच्छा पैगाम है दिल्ली स्तर की ही नही एेसी समस्या हमारे समाज मे व्याप्त है!
डि.एल.फसवाडीया
कानोड(उदयपुर)
...See More
LikeReply1April 4 at 4:20pm
दिल्ली प्रदेश समाज नेतराम जी आपकी पोस्ट दोबारा पढने के लिए सामने आ गयी मेने पढ ली। आपने जिन दो चार कागजी विद्वानों का जिक्र करके कहा कि ये लोग काम धाम नहीं करते। आपने उनका नाम नहीं लिया। क्यों? 
अब आपसे एक प्रश्न है कि आप का व्यवसाय क्या है।लोगों को बताओ क्योकिं बहुत से लोग तरह तरह की बात करता है।
LikeReply2April 7 at 3:59pm
दिल्ली प्रदेश समाज धर्मेन्द्र जी आप रघुवीर जी के बेटे हैं
Raghubir Singh Gadegawnliya Raigar
Write a reply...
D L Regar समाज के समस्त सदस्यो द्वारा एकमत हो समाज उथ्थान व सामाज को नया दिशानिर्देशन मिले विश्वास से कार्यकारणी गठीत की जाती है!
सामाज ने समाज उथ्थान हेतु गठीत सदस्य समाज के विचारों को तव्वजो न देकर स्वयं के विवेक व हठधर्मिता पुर्वक या स्वयं या व्यक्तिविशेष को 
फायदा पहुँचाने हेतु फैसले ले लेने की वजह तनातनी का माहौल उत्पन्न होने लगती है!
अतः चयनित कार्यकारणी समाज उथ्थान व अन्य जो भी मसला हो समाज के पत्येक सदसयो के विचारो को तव्वजो देते हुवे अपना अन्तिम फैसला लेने से सामन्यजस बना रहेगा!
Prithvi Barolia Raigar अपना व्यवसाय क्या बताएँगे। जो लोग कहते है वही मान लो।
D L Regar ji जो कार्यकारिणी समाज ने मतदान करके चयन की वो पदाधिकारी गुलामी पसंद है उनको जी हुजूरी वाले लोगों की दरकार थी । तभी जो लोग दिल्ली में तीन तीन बार पंचायत का चुनाव हार चुके दुसरे शब्दों में समाज के लोगों में उनकी छवि अच्छी नही है उन लोगों को महासभा में दिल्ली में मनोनीत किया हुआ है। इससे बड़ी महासभा की मनोदशा क्या हो सकती है।
LikeReply2April 8 at 12:34pm
दिल्ली प्रदेश समाज पूछना तो बनता है जनाब
LikeReply2April 8 at 1:00pm

No comments:

Post a Comment