Monday, August 14, 2017

रैगर विधवा महिला को डायन बताकर दी गई अमानवीय यातनाओ से हुई मौत, आरोपी गिरफ्तार



दिल्ली, समाजहित एक्सप्रेस (खुशहाल चन्द बड़ोलिया) । हमारे देश को आजाद हुए 70 वर्ष होने को हैं और हम इक्कीसवीं सदी में जी रहे हैं। देश के अनेकों सर्वोच्च पदों को महिलाएं सुशोभित कर रही हैं किंतु महिलाओं पर अत्याचार वाली कुप्रथाएं बदस्तूर जारी हैं, जैसे डायन प्रथा । डायन प्रथा की आड़ में कई संगीन अपराधों को अंजाम देना हमारे समाज में आम बात है। भारत के गांवों में आज भी अंधविश्वास और रूढि़वादिता का बोलबाला है। गांवों तथा छोटे कस्बों में अभी भी तांत्रिक, ओझा, भोपा, गुनिया तथा रसूखदार लोग अपने मतलब के लिए किसी महिला को कथित तौर पर डायन, डाकन, डकनी, टोनही आदि घोषित कर देते हैं। विडंबना यह है कि अगर किसी महिला को डायन बता दिया जाता है तो अक्सर उसके परिवार वाले, नाते-रिश्तेदार भी सामाजिक दबाव से उसका बहिष्कार कर देते हैं।
राजस्थान के अजमेर जिले के केकड़ी थानाक्षेत्र में डायन बताकर प्रताड़ित करने का एक मामला सामने आया है। जहां 40 वर्षीय कन्या देवी रैगर पत्नी स्वर्गीय छितरमल रैगर निवासी कादेड़ा को डायन बताकर जानवरों की तरह मारा-पीटा व अमानवीय दर्दनाक यातनायें देकर उसकी नृशंस हत्या कर दी गई । हत्या कर के बाद में घटना पर पर्दा डालने के लिए आनन-फानन में उन्हीं लोगों ने उसका अन्तिम संस्कार बिना बताए कर दिया गया । शिकायत मिलने पर पुलिस ने 8 अगस्त को मामले की विभिन्न धाराओ के अंतर्गत शिकायत दर्ज कर कारवाई करते हुए आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है ।
प्राप्त जानकारी के अनुसार घटना 2 अगस्त की रात की है। मृतका के 15 साल के बेटे कालूराम ने बताया कि रात के 11 बजे थे। हम आंगन में सो रहे थे। तभी वो लोग आए और मां को चोटी पकड़कर घसीटने लगे। मां चिल्लाई तो लोहे की चेन से मारना शुरू कर दिया। कहा चलानिया भैरूजी का भाव आया है, तू डाकन (डायन) है। मैं रोने लगा तो मुझे एक कमरे में बंद कर दिया। मां चीखती रही। कभी हाथों में अंगारे रख दिए, कभी आग पर बिठा दिया। मैं चाहता हूं कि मेरी मां को मारने वाले लोगों को कड़ी सजा मिले।
शाहपुरा निवासी और मृतका के रिश्तेदार महादेव रैगर ने चाइल्ड लाइन अजमेर को सूचित कर पूरे मामले से अवगत कराते हुए बताया कि मृतक महिला के बेटे के साथ भी कोई वारदात हो सकती है। उसके बाद चाइल्डलाइन द्वारा पुलिस थाना केकडी में महादेव रैगर के नाम से एक रिपोर्ट दी गई।
मृतका के रिश्तेदार महादेव रैगर के अनुसार हाल ही में कन्यादेवी के पति की मौत हुई थी, उसके पति की मौत क्या हुई, परिवार के लोग ही जान के दुश्मन बन गए। उसे डायन बता दिया। फिर शुरू हुआ अमानवीय यातनाओं का दौर। ये लोग डायन बताकर पहले तो कन्या देवी के साथ झाड़-फूंक करते रहे, फिर अमानवीय यातनाएं देने लगे। घटना के दौरान महिला के बेटे और उसके परिवार के अन्य सदस्यों को कमरे में कैद कर दिया गया था। दूसरी ओर, कन्या देवी के रिश्तेदार महादेव रैगर ने आरोप लगाया कि पुलिस ने भी मामले में बहुत धीमे कार्रवाई की है। ऐसे संवेदनशील मामले में भी पुलिस की लापरवाही एक प्रश्न वाचक चिन्ह खड़ा करती है । क्या पुलिस का खुफिया तंत्र या सूचना विभाग इतना कमजोर है कि क्षेत्र में इतनी बड़ी घटना होने के बावजूद भी पुलिस को इसकी जानकारी नहीं मिली । यह बेहद ही सोचनीय विषय है ।
अजमेर पुलिस के एसपी राजेंद्र सिंह ने कहा, “महिला को बहुत बरी तरह प्रताड़ित किया गया था। आरोपियों ने महिला को जलाने, मारने, मल खिलाने की बात को कुबूल लिया है। मामले में 6 आरोपी हैं जिनमें से 5 के खिलाफ हत्या और राजस्थान डायन प्रताड़ना निवारण ऐक्ट, 2015(Rajasthan Prevention of Witch Hunting Act) के तहत मामला दर्ज किया गया है।आरोपियों में कन्या देवी की भतिजी पिंकी, भतीजा महावीर और पड़ोसी सोनिया का भी नाम है।
कार्यकर्ता तारा आहलूवालिया ने कहा कि इस मामले में हत्या की वजह संपत्ति विवाद हो सकता है क्योंकि हाली ही में कन्या देवी के पति की मृत्यु हो गई थी और उसके रिश्तेदारों ने उसकी जमीन कब्जाने के लिए उसकी डायन बताकर हत्या कर दी। 8 अगस्त को पुलिस ने कन्या देवी की 23 वर्षीय बेटी माया देवी की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की। एफआईआर आईपीसी की धारा 302, 201 और राजस्थान डायन प्रताड़ना निवारण ऐक्ट, 2015 की धारा 3, 4 और 7 के तहत दर्ज की गई है।
ज्योति विकास संस्थान ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए दोषियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही की मांग की है। संस्थान के पदाधिकारी जयपुर में महिला आयोग राजस्थान, अनुसूचित जाति आयोग, राजस्थान मानवाधिकार आयोग राजस्थान ,राजस्थान की महिला मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को ज्ञापन प्रस्तुत कर मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग करता है, और भविष्य में ऐसी घटनाओं की दुबारा पुनरावृति नहीं हो इसके लिए ठोस कदम उठाने की मांग करता है ।


Sunday, August 13, 2017

जिला करोल बाग कांग्रेस कमेटी द्वारा स्वंतत्रता दिवस पर उत्साहपूर्वक ध्वजारोहण समारोह मनाया गया


दिल्ली, समाजहित एक्सप्रेस (रघुबीर सिंह गाड़ेगाँवलिया) । जिला करोल बाग कांग्रेस कमेटी के तत्वाधान में रविवार 13 अगस्त 2017 को स्वंतत्रता दिवस के उपलक्ष्य पर ध्वजारोहण समारोह हाथी वाले चौक, रैगर पुरा करोल बाग में उत्साहपूर्वक आयोजित किया गया । कार्यक्रम की शुरूआत में जिला कांग्रेस अध्यक्ष मदन खोरवाल और निगम पार्षद सुशीला मदन खोरवाल ने हाथी वाले चौक पर ध्वजारोहण किया और देश की महान विभूतियों के चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम में उपस्थित स्वतंत्रता संग्राम सैनानी और बुजर्गो का सम्मान किया ।
निगम पार्षद सुशीला मदन खोरवाल ने कहा कि कांग्रेस का देश की आजादी में बड़ा योगदान रहा है और कांग्रेस ही ऐसी पार्टी है जोकि देश हित के लिए काम करती आई है और आगे भी करती रहेगी। आजादी की लड़ाई लड़ने वाले काग्रेंसी नेताओं को इस मौके पर हम उन्हें नमन करते है, और वर्तमान में पार्टी के कार्यकर्ताओं को उनके बताए रास्तों पर चलना चाहिए। इस गौरवशाली कांग्रेस के इतिहास पर सभी कांग्रेसी अपने को गौरवान्वित महसूस करते हैं ।

जिला कांग्रेस अध्यक्ष मदन खोरवाल ने 71वें स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि देश को आजाद करवाने के लिए महात्मा गांधी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, पंडित जवाहर लाल नेहरु आदि का महतवपूर्ण योगदान रहा है । कांग्रेस पार्टी ही एक ऐसी पार्टी है जिसने सभी वर्गो को हमेशा सम्मान दिया है ।

नांगलोई मे निगम पार्षद ज्योति रछोया व चत्तर सिंह रछोया राष्ट्रीय महामंत्री महासभा की अगुआई तिरंगा यात्रा निकाली गई


दिल्ली, समाजहित एक्सप्रेस (रघुबीर सिंह गाड़ेगाँवलिया) । स्वतंता दिवस की 70 वीं वर्षगांठ के अवसर पर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व के आव्हान पर निकाली जा रही तिरंगा यात्रा कार्यक्रम के अंतर्गत निगम पार्षद ज्योति रछोया, राष्ट्रीय महासचिव चत्तर सिंह रछोया की अगुआई में वार्ड न 37 नांगलोई मे तिरंगा यात्रा निकली गई । तिरंगा यात्रा बड़ी संख्या में नेता-कार्यकर्ता शामिल हुए। यात्रा में शामिल सभी भाजपा कार्यकर्ताओ ने शहीदों की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया। फिर भारत माता की जय और वंदे मातरम् समेत अन्य देशभक्ति के नारों के बीच नांगलोई मे तिरंगा यात्रा निकली।

इस अवसर पर चत्तर सिंह रछोया ने कहा कि तिरंगा यात्रा से नौजवानों में देशभक्ति की भावना बढ़ेगी, साथ ही अमर शहीदों को श्रद्धांजलि देकर उन्हें याद करने की भावना बढ़ेगी । तिरंगा यात्रा का मकसद तभी पूरा होगा जब समाज से गंदगी, भ्रष्टाचार, गरीबी, आतंकवाद, जातिवाद, सम्प्रदायवाद से मुक्त होगा और इसमें युवाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है।

रैगर चौपाल में त्यागमूर्ति स्वामी आत्मा राम लक्ष्य जी का जन्मोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया गया ।



दिल्ली, समाजहित एक्सप्रेस (रघुबीर सिंह गाड़ेगाँवलिया) । स्वामी आत्मा राम लक्ष्य जन्मोत्सव समारोह समिति दिल्ली  के तत्वाधान में शनिवार, 12 अगस्त 2017 को त्यागमूर्ति स्वामी आत्माराम लक्ष्य जी के 110 वें जन्मदिवस पर रैगर चौपाल रतियावाली प्याउ करोल बाग में जन्मोत्सव समारोह आयोजित किया गया । इस कार्यक्रम मे समाज के सैकड़ों लोगों ने हिस्सा लिया ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व महापौर योगेंद्र कुमार चांदोलिया अध्यक्ष स्वामी आत्मा राम लक्ष्य जन्मोत्सव समारोह समिति ने की । कार्यक्रम का आरंभ, समारोह में आये सभी अतिथियों, समाज की संस्थाओं के गणमान्य व्यक्तियों ने त्यागमूर्ति स्वामी आत्माराम लक्ष्य की तस्वीर पर माल्र्यापण कर पुष्प अर्पित किये व दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। अतिथियों का सम्मान किया गया।
समारोह में अखिल भारतीय रैगर महासभा (पंजी) के उपाध्यक्ष अशोक तोणगरिया, दिल्ली प्रान्तीय रैगर मन्दिर प्रबन्धक कमेटी के अध्यक्ष जगदीश दौतानियां, महामंत्री भागीरथ प्रसोया, मन्त्री श्रवण कुमार जलूथरिया, कोषाध्यक्ष लक्ष्मण दास जाजोरिया, रैगर धर्मशाला ट्रस्ट,हरिद्वार के अध्यक्ष जसवन्तराय बारोलिया, दिल्ली प्रान्तीय रैगर पंचायत के पूर्व अध्यक्ष ओम प्रकाश पिंगोलिया, दिल्ली प्रान्तीय रैगर पंचायत के संरक्षक कन्हैया लाल सीवाल, उपाध्यक्ष बालकिशन सौंकरिया, महामंत्री प्रदीप चान्दोलिया, मन्त्री परमानंद जाजोरिया, श्री मौजीराम सत्संग सभा के महासचिव लाजपत राय कानखेडिया, आर्य कन्या पाठशाला के चेयरमैन देवेन्दर धूडिया, अखिल भारतीय रैगर महासभा, दिल्ली प्रदेश के महासचिव खूबराम सबलाणियाँ, उपाध्यक्ष रविन्द्र अटल, कोषाध्यक्ष मदन लाल भाखड़ीवाल, महिला प्रकोष्ठ, दिल्ली प्रदेश की उपाध्यक्ष ललिता जाजोरिया, रैगर समाज विकास समिति, रोहिणी के अध्यक्ष आनन्द कुमार सौंकरिया, रैगर जागृति मिशन के अध्यक्ष धर्मेन्द्र दोतानिया, धर्मगुरू स्वामी ज्ञानस्वरुप जी महाराज सत्संग सभा के अध्यक्ष मालाराम चान्दोलिया, अखिल भारतीय रैगर समाज धर्मशाला, रामदेवरा की संरक्षक साध्वी आनन्दी महाराज, श्री बाबा रामदेव अवतरण उत्सव समिति के अध्यक्ष रघुवीर सिंह सिंगाड़िया, श्री विष्णु मन्दिर बापा नगर के अध्यक्ष रामस्वरुप बोकोलिया, श्री शिव मन्दिर, बापानगर के अध्यक्ष नानूराम चान्दोलिया, रैगर पंचायत सुल्तानपुरी के अध्यक्ष ईश्वर लाल दोतानिया, उत्तम नगर रैगर पंचायत के अध्यक्ष यादराम गाडेगावलिया, मंगोलपुरी रैगर पंचायत के पूर्व अध्यक्ष रोहतास कुमार बारोलिया व महामंत्री सुभाष कुमार सक्करवाल, ओम प्रकाश पिंगोलिया व अन्य संस्थाओं के पदाधिकारी अपने साथियों के साथ सम्मिलित हुये।
अध्यक्ष योगेंद्र कुमार चांदोलिया ने अपने संबोधन में कहा कि सामाजिक कार्यक्रम से लोगों को आपस में जुड़ने का मौका मिलता हैं इसमे किसी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए और सभी रैगरो को ऐसे कार्यक्रमों में बढचढ कर सहयोग करना चाहिए । समाज के विकास के लिए संघर्ष होना चाहिए, समाज में नहीं नवम्बर 2017 में होने वाले रैगर समाज के सम्मलेन को सफल बनाने के लिए लोगो को तन-मन और धन से सहयोग करने की अपील की l दिल्ली में होने वाला महासम्मेलन से रैगर समाज की एक मिसाल व प्रतिष्ठा कायम होगी।

कार्यक्रम मंच संचालन पृथ्वी राज डीगवाल (समिति के उपाध्यक्ष व राष्ट्रीय सचिव, अखिल भारतीय रैगर महासभा पंजीकृत) ने किया। अन्त में समिति के महासचिव आत्माराम गुसाईवाल ने सभी आगुन्तको को जलपान के लिए आमन्त्रित किया।

Friday, August 11, 2017

वाह रे पैसा , तेरे कितने नाम !!!

वाह रे पैसा , तेरे कितने नाम !!!
मंदिर मे दिया जाये तो ( चढ़ावा ) ..,
स्कुल में ( फ़ीस ) ..,
शादी में दो तो ( दहेज ) ..,
तलाक देने पर ( गुजारा भत्ता ) ..,
आप किसी को देते हो तो ( कर्ज ) ..,
अदालत में ( जुर्माना )..,.
सरकार लेती है तो ( कर ) ..,
सेवानिवृत्त होने पे ( पेंशन ) ..,
अपहर्ताओ के लिएं ( फिरौती ) ..,
होटल में सेवा के लिए ( टिप ) ..,.
बैंक से उधार लो तो ( ऋण ) ..,
श्रमिकों के लिए ( वेतन ) ..,
मातहत कर्मियों के लिए ( मजदूरी ) ..,
अवैध रूप से प्राप्त सेवा ( रिश्वत ) ..,
और मुझे दोगे तो ( 😄👌गिफ्ट

बेजुबान पत्थर पे लदे है करोंडो के गहने मंदिरो में ।

गहरी बात
बेजुबान पत्थर पे लदे है करोंडो के गहने मंदिरो में ।
उसी देहलीज पे एक रूपये को तरसते नन्हें हाथों को देखा है।
सजे थे छप्पन भोग और मेवे मूर्ती के आगे ।
बाहर एक फ़कीर को भूख से तड़प के मरते देखा है ll
लदी हुई है रेशमी चादरों से वो हरी मजार,
पर बाहर एक बूढ़ी अम्मा को ठंड से ठिठुरते देखा है।
वो दे आया एक लाख गुरद्वारे में हॉल के लिए,
घर में उसको 500 रूपये के लिए काम वाली बाई बदलते देखा है।
सुना है चढ़ा था सलीब पे कोई दुनिया का दर्द मिटाने को,
आज चर्च में बेटे की मार से बिलखते माँ बाप को देखा है।
जलाती रही जो अखन्ड ज्योति देसी घी की दिन रात पुजारन,
आज उसे प्रसव में कुपोषण के कारण मौत से लड़ते देखा है ।
जिसने नहीं दी माँ बाप को भर पेट रोटी कभी जीते जी ,
आज लगाते उसको भंडारे मरने के बाद देखा है ll
दे के समाज की दुहाई ब्याह दिया था जिस बेटी को जबरन बाप ने,
आज पिटते उसी शौहर के हाथों सरे बाजार देखा है ।
मारा गया वो पंडित बेमौत सड़क दुर्घटना में यारों ,
जिसे खुद को काल सर्प,तारे और हाथ की लकीरों का माहिर लिखते देखा है
जिस घर की एकता की देता था जमाना कभी मिसाल दोस्तों
आज उसी आँगन में खिंचती दीवार को देखा है।
गिद्ध भी कहीं चले गए लगता है
उन्होंने देख लिया कि,इंसान हमसे अच्छा नोंचता है।
कुत्ते कोमा में चले गए,ये देखकर कि
क्या मस्त तलवे चाटते हुए इंसान को देखा है ।

Tuesday, August 1, 2017

पहले “रैगर रत्न पुरस्कार” देना, बाद में “रैगर रत्न” पदक की खिलाफत करना, राष्ट्रीय अध्यक्ष ने मेरी भावनाओ और मान-प्रतिष्ठा से खिलवाड़ किया है : सुनील बोकोलिया

http://www.lokhitexpress.com/?p=48450
दिल्ली, लोकहित एक्सप्रेस, (रघुबीर सिंह गाड़ेगाँवलिया) । 25 दिसम्बर 2016 को जयपुर में सार्वजानिक सभा में अखिल भारतीय रैगर महासभा ने गौरवपूर्णं और सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार रैगर रत्नसुनील कुमार बोकोलिया को राष्ट्रीय अध्यक्ष भंवर लाल नवल ने अपने करकमलो से प्रदान किया था । लेकिन सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार रैगर रत्न देने के बाद में राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा विरोध सभा आयोजन किये जाने से रुष्ट होकर सुनील कुमार बोकोलिया ने “रैगर रत्न पुरस्कार” बापिस लौटा दिया ।
अखिल भारतीय रैगर महासभा के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार को रैगर रत्नके रुप में जाना जाता है। ये सम्मान रैगर समाज के किसी भी सदस्य को लिंग और उम्र के भेदभाव के बिना उत्कृष्ट कार्यो और विशेष योग्यता के लिए प्रदान किया जाता है। रैगर रत्न”  पुरस्कार रैगर समाज का गौरवपूर्णं और सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। अखिल भारतीय रैगर महासभा के मंत्रिमंडल और कार्यकारिणी का चुनाव समाज के 2501 प्रतिनिधियों के द्वारा किया जाता है । 
25 दिसम्बर 2016 को जयपुर में सार्वजानिक सभा में मुझे अखिल भारतीय रैगर महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा स्वहस्ताक्षरित रैगर रत्नप्रमाण पत्र अपने करकमलो से प्रदान किये जाने के बाद 8-1-2017 को रैगर रत्न के विरोध में सभा आयोजित कर 28-1-2017 को कार्यालय आदेश जारी करते है । ये दोनों कार्य मेरी भावनाओ और मान-प्रतिष्ठा को आघात करता है । इससे दुखी होकर मैंने रैगर रत्न बापिस लौटाने का निर्णय लिया ।
सुनील कुमार बोकोलिया ने अपने पत्र में कहा है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष को पदक से नाराज़गी थी तो प्रमाण पत्र पर हस्ताक्षर क्यों किये? क्या कोई रिटायर्ड IAS अधिकारी बिना सोचे समझे हस्ताक्षर है ? पुरस्कार पर बाकी के चार पदाधिकारी भी कुछ आंकलन करके ही हस्ताक्षर किये होंगे क्या वे समाज के जिम्मेदार लोग नहीं थे ? अखिल भारतीय रैगर महासभा ने मेरा पद गलत लिखकर मुझे मानसिक रूप से प्रताड़ित किया है, जिसके लिए मैंने उसी समय अवगत करा दिया था । ऐसा प्रतीत हो रहा है समाज के प्रति वफ़ादारी निभा रहे लोगो की वफादारी के साथ छेड़छाड़ शुरू हो गई है ।
इस घटनाक्रम को लेकर समाज के लोगो में अखिल भारतीय रैगर महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कार्यशैली से निराश और दुखी है । एक सज्जन ने तो यहाँ तक कह दिया की आज अखिल भारतीय रैगर महासभा में जो परिस्थितियां बनी हुई, उससे समाज का विकास होना मुश्किल है । ये कविता सुना दी:-
चुनाव जितने के लिए वादे किये हैं बहुत, किन्तु पूरा करेंगे ये वादा नहीं !
जिनके कार्यो में विश्वसनीयता नहीं, उनके सहारों की हमको ज़रूरत नहीं !!
जिनके आने से समाज का विकास ना हो, उन नेताओ की हम को ज़रूरत नहीं !

हम समाज विरोधियो से समाज बचाते रहे, पर आज कर्णधारो ने छलावा किया !!

Tuesday, July 25, 2017

एक ऐसा विद्यालय जहाँ शिक्षक नियुक्त है, सैलेरी भी टाइम पर आती है, परन्तु विद्यार्थी एक नहीं है

दिल्ली, लोकहित एक्सप्रेस, (रघुबीर सिंह गाड़ेगाँवलिया) । सरकारी स्‍कूलों के हालात से तो हम सभी वाकिफ हैं कि स्कूल का भवन और विद्यार्थी तो होते है परन्तु शिक्षक नहीं होते, लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि राजस्थान के सीकर जिले में कांवट कस्बे के प्रतापपुरा गांव में एक ऐसा स्‍कूल भी है, जहां पढ़ाने के लिए टीचर्स तो हैं लेकिन पढ़ने वाला कोई नहीं। प्रतिमाह करीब एक लाख से ज्यादा रुपए की पगार लेने वाले ये चार शिक्षक पेड़ पौधों में पानी डालकर और अपना टाइमपास करके वापस अपने घर लौट जाते हैं । राजस्थान का यह स्‍कूल बाकी स्‍कूलों से बहुत अलग है।
राजस्थान के सीकर जिले में कांवट कस्बे के प्रतापपुरा गांव में शिक्षा विभाग ने संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए अलग से संस्कृत स्कूल 1998 में खोला गया था । उस समय इस स्कूल में पास के गांवों से भी बच्‍चे पढ़ने आते थे। 2005 में, बच्‍चों की संख्‍या 55 थी और वर्ष 2014 में स्कूल क्रमोन्न्त हुआ, परन्तु उसके बाद कम होती चली गई। आज आलम यह है कि इस स्कूल में हमेशा शांति फैली होती है और क्‍लासरूम में सन्‍नाटा पसरा रहता है । वहीं प्‍लेग्राउंड सूना पड़ा रहता है। जिसकी मुख्य वजह सिर्फ बच्चो का स्कूल न आना है।
यह स्‍कूल ज्‍यादा बड़ा तो नहीं है पर इस स्कूल के बिल्डिंग में छह क्लासरूम है। इस स्कूल में शिक्षा विभाग ने एक प्रधानाध्यापक और तीन शिक्षकों को नियुक्त कर रखा है, जिन्हे सरकार लाखों रुपयों की पगार देती हैं जो सुबह 8 बजे ही स्‍कूल में आ जाते हैं। स्‍टूडेंट न होने की वजह से ये टीचर दिनभर बोर होते रहते हैं। टीचर्स की सैलेरी तो टाइम पर आती है लेकिन वे अपनी जॉब से खुश नहीं हैं। शिक्षकों का कहना हैं कि वे पेड़ पौधों में पानी डालकर, झाड़ू निकालकर सरकारी कुर्सियों पर बैठकर ही वापस अपने घर चले जातें हैं । वहीं जब हम अपने घर जा रहे होते हैं तब गांव के आसपास के लोग भी स्कूल में आने वाले शिक्षकों को हीन भावना से देखकर उन पर टिप्पणियां करने से नहीं चूकते हैं ।
इस पुरे मामले के बारे में प्रधानाध्यापक सांवरमल द्वारा अपने उच्च अधिकारियों को प्रत्येक महीने रिपोर्ट भेजकर अवगत करवाया जाता है । अध्यापकों की मानें तो इस गांव की आबादी भी वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार 300 के लगभग है ।

विद्यालय को शिक्षा के मंदिर के नाम से जाना जाता है। वैज्ञानिको का मानना है की संस्कृत भाषा का ज्ञान रखने वाला व्यक्ति दुनिया की कोई भी भाषा बोल सकता है। संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा विभाग ने अलग से संस्कृत स्कूल तो खोल दिए लेकिन सरकार की लापरवाही की वजह से कभी इन स्कूलों में व्यवस्थाओं की कभी सुध तक नहीं ली गयी।

कांस्टेबल रामनिवास यादव पुलिसकर्मी द्वारा जयराम रैगर नामक दलित युवक के साथ मारपीट व जलती सिगरेट से दोनों हाथो की हथेलियाँ जलाई

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दिल्ली, लोकहित एक्सप्रेस, (रघुबीर सिंह गाड़ेगाँवलिया) । आमेर थाना इलाके के नाई की थड़ी पर रहने वाले जयराम रैगर नामक दलित युवक को कांस्टेबल रामनिवास यादव पुलिसकर्मी द्वारा चोरी के झूठे केस में फ़साने का मामला व उसके साथ मारपीट कर जलती हुई सिगरेट से दोनों हाथो की हथेलियों का जलानेका मामला सामने आया है I
प्राप्त जानकारी के मुताबिक पीड़ित जयराम रैगर नामक दलित युवक ने शनिवार को कांस्टेबल रामनिवास यादव पुलिसकर्मी के खिलाफ आमेर थाने में इस मामले की रिपोर्ट दी है I उसके उपरांत पुलिस ने पीड़ित का मेडिकल भी करवाया है I
पीड़ित जयराम रैगर ने बताया कि मैं शुक्रवार को सुबह कुकस के उपस्वास्थ्य केंद्र पर किसी से मिलने गया हुआ था कि आमेर थाने में तैनात कांस्टेबल रामनिवास यादव ने मुझे जबरन बाइक पर बैठाकर थाने ले आया, और मारपीट करने लगा तथा जबरन चोरी के मामले को कबूल करने को कहा, मेरे द्वारा नहीं कबूलने पर जलती हुई सिगरेट से दोनों हथेलियों को जला दिया I मेरी ज्यादा तबियत ख़राब होने पर मुझे छोड़ दिया गया I मेरे परिजनों ने कांस्टेबल रामनिवास यादव से मारपीट के बारे में जानकारी चाही तो कांस्टेबल रामनिवास यादव ने मेरे परिवार के लोगो को थाने में बंद करने की धमकी दे डाली” I
इस घटना के बाद दलित समाज और रैगर समाज के लोगो में पुलिस के खिलाफ रोष है I अखिल अनुसूचित जाति समन्वय परिषद् के प्रदेशाध्यक्ष नवरतन गुसाईवाल व रैगर समाज के पदाधिकारी पूरण चन्द, हीरालाल, गोपाल कृषण ने पीड़ित से मिलकर घटना की जानकारी ली और उसके बाद थाना प्रभारी से मिलकर कांस्टेबल रामनिवास यादव के खिलाफ उचित क़ानूनी करवाई की मांग की तथा केस की पूरी जानकारी ली I जानकारी देते हुए थाना प्रभारी नरेंद्र कुमार ने बताया कि ACP को घटना की जानकारी दे दी गई है वो ही इसकी जाँच करेंगे I रैगर समाज के पदाधिकारी ने कहा कि स्थानीय पुलिस द्वारा कोई करवाई नहीं होती तो हम पुलिस कमिश्नर को शिकायत करेंगे I


Monday, July 24, 2017

नारी का अपमान सालो से चला आ रहा है।

भारत देश मे नारी का अपमान सालो से चला आ रहा है। नारी को पुरूष ने हमेशा अपनी जरूरत की वस्तु के रूप मे काम मे लिया है। और सालो से नारी इस दुख को अपना भाग्य समझ कर भोग रही है। सरकार चाहे कितने भी दावें कर ले आज भी कई क्षेत्रो मे नारी को बराबर का दर्जा इस देश मे नही दिया जाता है। किसी ना किसी बंधन मे बंधी नारी आज भी लाचार और अपने आप को बेबसी की जंजीरो मे जकडी नजर आयेगी। जिस नारी को भगवान ने भी खुद से बडा दर्जा दिया आज उसी नारी की दशा देखो पहले गर्भ मे मरने का डर ,और अगर जिंदा बाहर निकली तो हवानो का डर और अगर वो उनसे भी बच गई तो दहेज लोभीयो का डर उसके मन मे बसा रहता है। एक नारी जब पुरे जग से हार जाती है तो वह अपने जीवन को जीने के लिए अकेले ही इस संसार मे जीने की कोशिश करती है। लेकिन हवानो के द्वारा उन पर अपनी तुष्ण ईच्छा के कारण अपनी हवस का शिकारी बना लिया जाता है। और इस गंदगी मे वो एक नये नाम से जानने लगती है जिसे हम वेश्या का दर्जा देते है ।कोई भी नारी अपनी स्वेच्छा से वेश्या नही बनती है समाज के दरिदे ही उसे विवश करते है और उसे वेश्या का नाम भी उनके द्वारा ही दिया होता है।  एक नारी अपने सुहाग को बचाने के लिए नाजाने कितने करवॉ चौथ करती है पर विडम्बंना देखो नारी की वो अपनी लाज नही बचा पाती है आज संसार मे वेश्या को लोग देखते तो बुरी नजरो से है। लेकिन ऑखो मे हवस भरी रहती है। कोई भी नारी अपने जीवन को इस गंदगी मे नही पलने देना चाहती है। लेकिन समाज मे फैली गंदगी व बुराई उसे इस गंदगी मे खिचं लाती है। हर एक व्यक्ति को उसके जिस्म से चाह होती है। लेकिन कोई उसकी विडम्बंना नही समझता है। और एक दिन वो पेशेवर वेश्या के नाम से जानी जाती है। जिसकी जिदंगी समाज से अलग होती है। उसके कोख से पैदा होने वाली भी इस माहौल मे अपने आप को ढाल लेती है। आज तक ना जाने कितनी बार सरकार बनी कितनी बार सरकार बिगडी किन्तु आज तक किसी सरकार ने इस मामले मे कोई ठोस कदम नही उठाये। आखिर समाज मे इनको जिने का हक क्यू नही दिया जाता है। आखिर कब तक इस दर्द के साथ उसे जिना पडेगा। सरकार या प्रशासन चाहे तो समाज मे फैली इस बुराई को खत्म कर इन्हे भी समाज के साथ चलना सिखा सकती है। जिससे आने वाली पिढी इस कलंक से मुक्ति पा सके। आज सरकार के साथ साथ समाज के हर व्यक्ति को बदलना होगा । हर व्यक्ति की आखो मे हर नारी बहन व मॉ के रूप मे होगी तब ही देश मे बदलाव सम्भव है। आज की सोच से देश के कल मे बदलाव है।

नागरिक अधिकारों पर स्पीच

मेरे प्रिय देशवासियों, शुभ संध्या:
साथियों, लगातार मिल रही धमकियों और उपेक्षापूर्ण बयानों को देखते हुए, अलबामा विश्वविद्यालय में आज दोपहर उत्तरी ज़िला अलबामा की संयुक्त राज्य ज़िला-अदालत के स्पष्ट और अंतिम आदेश के क्रियान्वयन के तहत अलबामा राष्ट्रीय सुरक्षागार्डों की तैनाती अपरिहार्य हो चुकी है. अदालत का यह आदेश दो योग्य और युवा अलबामा निवासियों के प्रवेश के पक्ष में था, जिनका जन्म संयोगवश नीग्रो परिवार में हुआ है.
विश्वविद्यालय में उनका प्रवेश जिस शांतिपूर्ण ढंग से हुआ वो अलबामा विश्वविद्यालय के छात्रों के उत्तम आचार और उत्तरदायित्व के निर्वहन की उनकी सकारात्मक सोच का द्योतक है.
मैं आशा करता हूं कि प्रत्येक अमेरिकी नागरिक, भले ही वो देश के किसी भी क्षेत्र का रहने वाला हो, एक बार ठहर कर विवेक से ऐसी घटनाओं के बारे में विचार करेगा. इस महान राष्ट्र के निर्माण में विभिन्न देशों के और विभिन्न पृष्ठभूमि से आए लोगों ने योगदान दिया है. इसका निर्माण सभी लोग समान हैं’, और एक व्यक्ति के अधिकारों के हनन का अर्थ है, प्रत्येक नागरिक के अधिकारों पर प्रहारके मूल सिद्धांत पर हुआ था.
आज हम दुनियाभर में स्वतंत्रता के लिए संघर्षरत समुदायों के अधिकारों की रक्षा हेतु वचनबद्ध हैं. और अपने सैनिकों को वियतनाम या पश्चिमी बर्लिन भेजते समय केवल श्वेत अमेरिकियों को प्राथमिकता नहीं.देते. इसलिए, आवश्यकता इस बात की है कि किसी भी वर्ण के अमेरिकी छात्र बिना सुरक्षाकर्मियों की सहायता के किसी भी सार्वजनिक संस्था में प्रवेश पाने के लिए स्वतंत्र हों.
किसी भी वर्ण के अमेरिकी उपभोक्ता को बिना सड़कों पर प्रदर्शन किए होटल, रेस्त्रां, सिनेमाघर और खुदरा बिक्री केंद्रों जैसे सार्वजनिक स्थलों पर समानता पर आधारित भेदभाव रहित सेवा मिले और प्रत्येक अमेरिकी नागरिक बिना किसी रंगभेद के भयमुक्त होकर चुनाव में मतदान करने के लिए स्वतंत्र हो
संक्षेप में,इस महान राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को बिना किसी नस्ल अथवा रंगभेद के प्रत्येक वह सुविधा और लाभ मिलना चाहिए जिसका एक अमेरिकी होने के नाते वो अधिकारी है. वो अधिकारी है अपने और अपने बच्चों के प्रति उस सम्मानपूर्ण व्यवहार का, जिसकी वो समाज से अपेक्षा करता है लेकिन वस्तुस्थिति कुछ और ही है.
आज अमेरिका के किसी भी हिस्से में जन्मे श्वेत बालक की तुलना में उसी स्थान और उसी समय पर जन्मे नीग्रो बालक की हाईस्कूल उत्तीर्ण करने की संभावना आधी, कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने और नौकरी पाने की संभावना एक तिहाई, बेरोजगार रह जाने की संभावना दोगुनी, 10,000/- डॉलर प्रतिवर्ष की आमदनी की आशा श्वेत बालक की अपेक्षा एक बटा सात, औसत आयु श्वेत बालक से सात वर्ष कम और औसत आय आधी है
ये किसी स्थान विशेष का मुद्दा नहीं है. बल्कि आम नागरिकों की सुरक्षा हेतु ख़तरा उत्पन्न करने वाली असंतोष की लहर के मूल में अलगाव और भेदभाव संबंधी कठिनाईयां हमारे देश के प्रत्येक राज्य के प्रत्येक शहर में मौजूद हैं. ना ही ये कोई वैयक्तिक अथवा दल विशेष से संबंधित मुद्दा है. ऐसे आंतरिक संकट के समय हमें दलगत राजनीति से ऊपर उठकर स्वयं को संगठित करना होगा. ये केवल कोई वैधानिक मुद्दा भी नहीं है. बेहतर यही है कि बजाय सड़कों पर उतरने के, इस प्रकार के मामलों का हल अदालत के माध्यम से निकाला जाए. इसके लिए प्रत्येक स्तर पर नए कानून बनाने की आवश्यकता है, लेकिन बस कानून भर बना देने से ही किसी व्यक्ति की सोच को बदला नहीं जा सकता
मुख्य रूप से हमारे सामने मूल प्रश्न नैतिकता का.है. ये मुद्दा उतना ही पुराना है जितनी हमारी धार्मिक पुस्तक और उतना ही स्पष्ट, जितना कि हमारा संविधान.
मूल प्रश्न एक अमेरिकी नागरिक की समानता का, समान अवसरों के अधिकार का और इस बात का है, कि जो अपेक्षा हम अपने लिए करते हैं, क्या अपने साथी अमेरिकी नागरिक की ठीक वैसी अपेक्षा पर हम खरा उतरते हैं? मात्र अपनी चमड़ी के गाढ़े रंग के कारण यदि कोई अमेरिकी नागरिक आम जनता के लिए बने रेस्त्रां में खाना नहीं खा सकता, अपने बच्चों को श्रेष्ठ विद्यालयों में अच्छी शिक्षा नहीं दिला सकता, अपना जन प्रतिनिधि चुनने के लिए मतदान नहीं कर सकता यानी वह यदि उस स्वतंत्रता के साथ खुलकर नहीं जी सकता जिसकी कि हम सब अपने लिए कामना करते हैं, तो उसके जैसा रंग और उसके स्थान पर आखिर कौन होना चाहेगा! हममें से कौन है जो धैर्य और बाधाओं के ऐसे प्रतिरूप में खुद को पाकर खुश होगा?
राष्ट्रपति लिंकन द्वारा दासप्रथा को समाप्त किए जाने की ऐतिहासिक घटना को सौ से भी अधिक वर्ष बीत चुके हैं, किंतु उन दासों के वंशज, उनके पौत्र-प्रपौत्र आज भी दासता से पूरी तरह से मुक्त नहीं हो पाए हैं. अन्याय के बंधनों से उन्हें आज भी पूरी तरह मुक्ति नहीं मिली है. वो आज भी सामाजिक और आर्थिक दमन के जाल में फंसे हुए हैं. अगर हमारा केवल एक नागरिक भी स्वतंत्र नहीं है तो हमारी आशाएं और राष्ट्र-स्वतंत्रता का हमारा गौरव बेमानी है.
हम संसारभर को स्वतंत्रता का पाठ पढ़ाते हैं, अपने घर के भीतर उसका पालन करते हैं, किंतु संसार को और उससे भी बढ़कर स्वयं को क्या हम यही जताना चाहते हैं कि हमारे समाज में नीग्रो समाज के अलावा बाकी सभी को आज़ादी से जीने का हक है? या, हमारी इस धरती पर नीग्रो समाज के अलावा कोई भी अन्य नागरिक दूसरे दर्जे का नहीं है? या फिर, अपवादस्वरूप नीग्रो समाज को छोड़ दिया जाए तो हमारे देश में नस्ल, जाति अथवा रिहायशी बस्तियों को लेकर कोई भेदभाव नहीं है?
अब समय आ चुका है कि हम अपने वादों को पूरा करें. बर्मिंघम और अन्य स्थानों पर हुई भेदभावपूर्ण घटनाओं के विरोध में उठी आवाज़ों को अनसुना कर पाना अब किसी भी स्थानीय अथवा केंद्रीय सरकार या वैधानिक संस्था के लिए संभव नहीं है.
उत्तर से दक्षिण तक, प्रत्येक शहर में भड़क रही असंतोष और नफ़रत की आग को काबू कर पाना अब कानून के भी दायरे से बाहर होता जा रहा है. अन्याय के प्रतिकारस्वरूप अब सड़कों पर धरना-प्रदर्शन और विरोध रैलियां आयोजित की जा रही हैं, जिसके कारण देशभर में तनाव हिंसा और जानमाल की हानि का भय पैदा हो गया है.
एक राष्ट्र ही नहीं वरन एक इकाई के रूप में भी हम इस समय विकट नैतिक संकट के दौर से गुज़र रहे हैं. . इस संकट को पुलिस की सख्ती से काबू में नहीं किया जा सकता. किंतु सड़कों पर उत्तरोत्तर बढ़ते जा रहे प्रदर्शनों को नज़रअंदाज़ भी नहीं किया जा सकता. प्रतीकात्मक कदम उठाकर, अथवा बातचीत के माध्यम से हालात को सामान्य बनाना भी संभव नहीं है. इसलिए अब समय आ गया है कि हम राजनैतिक अधिवेशनों में, राज्य और स्थानीय वैधानिक परिषदों में और साथ ही अपने दैनिक क्रिया-कलापों में भी समानता का सकारात्मक कदम उठाएं.
औरों पर दोषारोपण करना, या इसे एक खास तबक़े की समस्या मान लेना, या फिर परिस्थितियों पर खेद प्रकट कर देना ही समस्या का हल नहीं है. हमें आज खुद को एक शांतिपूर्ण और रचनात्मक क्रांतिकारी परिवर्तन के लिए तैयार करना है.
निष्क्रिय और मूक होकर बैठे रहने से अंतत: केवल शर्मिन्दगी और हिंसा को ही बढ़ावा मिलता है. सही मायनों में सत्य और वास्तविकता को पहचानने वाले लोग ही साहसपूर्ण ढंग से स्थितियों से निपटने में सक्षम होते हैं
आने वाले सप्ताह में मैं संयुक्त राज्य अमेरिका की कांग्रेस से आग्रह करूंगा कि जो कदम इस पूरी सदी में नहीं उठाया गया, वो कदम उठाते हुए हम वादा करें कि अमेरिका के आम जन-जीवन अथवा कानून में नस्लवाद के लिए अब कोई स्थान नहीं होगा. संघीय न्यायपालिका ने भी न्यायपालिका के कर्मचारियों की नियुक्ति, न्यायिक सुविधाओं के उपयोग और न्यायपलिका द्वारा आर्थिक सहायता प्राप्त आवासों की बिक्री जैसे अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले सभी विषयों में इस प्रस्ताव का समर्थन किया है .
किंतु कुछ अपरिहार्य कदम ऐसे हैं जो केवल सरकार के अधिकार क्षेत्र में आते हैं और जिनका इसी सत्र में उठाया जाना अत्यावश्यक है. समानता के अधिकार के पुराने कानून में, जो आज भी हम पर लागू है, प्रत्येक गैरकानूनी कार्य के बदले सज़ा का प्रावधान है. किंतु देश के कई हिस्सों में यदि नीग्रो समाज पर अत्याचार होता है तो हमारा यही कानून मौन हो जाता है. यदि सरकार इस दिशा में कोई पहल नहीं करती, तो इस दबे-कुचले समाज के पास सड़कों पर उतरने के अलावा और कोई चारा ही नहीं होगा.
इसलिए मैं कांग्रेस से मांग करता हूं कि वो यथाशीघ्र ऐसा कानून लाए जिसके तहत अमेरिका के प्रत्येक नागरिक को बिना किसी भेदभाव के होटल, रेस्त्रां, सिनेमाघर और खुदरा बिक्री केंद्र जैसे सभी सार्वजनिक स्थानों पर समान सेवा पाने का अधिकार हो.
मेरी दृष्टि में ये एक मूल-अधिकार है. इससे वंचित किये जाने का अर्थ है किसी का तिरस्कार करना, जो पूर्णत: अनुचित होने के बावजूद अमेरिका में आज साल 1963 में भी चलन में है.
हाल ही में प्रमुख व्यवसायियों और उनके नेताओं के साथ हुई मुलाक़ातों के दौरान मैंने उन सभी से आग्रह किया कि वे स्वेच्छा से इस दिशा में सकारात्मक कदम उठाएं और मुझे अत्यंत उत्साहवर्धक प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुईं.पिछले दो सप्ताह में 75 शहरों में इन सार्वजनिक स्थलों पर भेदभाव की समाप्ति की दिशा में कदम उठाए जाने के संकेत मिलने आरंभ हो गए हैं. किंतु कई व्यवसायी ऐसे हैं जो चाहते हुए भी अकेले अपने बल पर ऐसा क्रांतिकारी कदम उठाने में हिचकिचा रहे हैं.इसलिए यदि हम इस समस्या का शांतिपूर्ण समाधान चाहते हैं तो राष्ट्रीय स्तर पर हमें ऐसा कानून लाना ही होगा.
मैं कांग्रेस से इस बात का भी निवेदन करना चाहूंगा कि वो सार्वजनिक शिक्षा के क्षेत्र में होने वाले भेदभाव को समाप्त करने वाला कानून बनाने के लिए संघीय सरकार को प्राधिकृत करे. हम जिलास्तर पर कई क्षेत्रों में स्वैच्छिक ढंग से सामाजिक एकीकरण की दिशा में सफल हुए हैं. दर्जनों संस्थानों में नीग्रो समाज को बिना किसी हिंसा के प्रवेश मिलने लगा है. आज हमारे सभी 50 राज्यों में, सरकार समर्थित संस्थानों में आप कम से कम एक नीग्रो को तो उपस्थित पाएंगे ही, किंतु सामाजिक परिवर्तन की ये गति बहुत धीमी है.
बहुत से नीग्रो बच्चे, जिन्होंने 9 साल पहले उच्चतम न्यायालय के निर्णय के समय पृथक्कृत विद्यालयों में प्रवेश लिया था, वो इस वर्ष पृथक्कृत हाईस्कूलों में प्रवेश लेंगे, जिसके कारण होने वाली क्षति की पूर्ति कभी नहीं की जा सकेगी. पर्याप्त शिक्षा के अभाव में एक नीग्रो नागरिक को सम्मानजनक नौकरी पाने से वंचित रह जाना पड़ता है.
अत: उच्चतम न्यायालय के आदेश के क्रियान्वयन का उत्तरदायित्व पूरी तरह से उन पर नहीं छोड़ा जा सकता जो उत्पीड़न के शिकार हैं अथवा जो आर्थिक संसाधनों से वंचित होने के कारण कानूनी लड़ाई लड़ने में असमर्थ हैं.
इसके अलावा मतदान का अधिकारको संरक्षण जैसे अन्य मुद्दों को लेकर भी निवेदन किया जाएगा. किंतु मैं एक बार फिर से दोहराना चाहूंगा कि इस समस्या का समाधान अकेली न्यायपालिका नहीं कर सकती. इसका समाधान अमेरिका के प्रत्येक समुदाय और प्रत्येक घर में खोजा जाना चाहिए.
इस संदर्भ में मैं उत्तर से दक्षिण तक उन सभी नागरिकों का अभिनंदन करना चाहूंगा, जो अपने अपने समुदायों में मानव-कल्याण के सद्कार्य में जुटे हुए हैं. वो ये कार्य कानूनी बाध्यता के कारण नहीं वरन मानवीय संवेदनाओं से वशीभूत होकर कर रहे हैं.
उदाहरण के लिए दुनिया के कई हिस्सों में जान हथेली पर लेकर स्वतंत्रता-संबंधी चुनौतियों का सामना कर रहे हमारे थल व नौ-सैनिक, जिनके साहस और स्वाभिमान को मैं सलाम करता हूं.
मेरे प्रिय साथियों, ये एक ऐसी विकट समस्या है, जिसका सामना हमें उत्तर से लेकर दक्षिण तक, देश के प्रत्येक शहर में करना पड़ रहा है. आज हमारे देश में श्वेत बेरोज़गारों की तुलना में नीग्रो बेरोज़गारों की संख्या दो से तीन गुना अधिक है.पर्याप्त शिक्षा से वंचित, बड़े शहरों की ओर पलायन करते, समानता के अधिकार से वंचित, रेस्त्रां में भोजन करने अथवा सिनेमाघरों में प्रवेश के अवसरों और सम्मानजनक शिक्षा की प्राप्ति के अधिकार से और योग्य होने के बावजूद आज भी राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश से वंचित, नौकरी पाने में असफल और निराश हो चले हमारे युवा! ये वो मुद्दे हैं जिन्हें लेकर केवल राष्ट्रपति अथवा कांग्रेस के सदस्य अथवा राज्यपालों को ही नहीं बल्कि संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रत्येक नागरिक को जागरुक होना है.
ये हमारा देश है. इस देश का निर्माण हम सभी के प्रयासों से हुआ है और यहां के प्रत्येक नागरिक को अपनी योग्यता के संवर्धन के अवसर प्राप्त करने का पूरा अधिकार है.
हम देश की 10 प्रतिशत जनता से यह नहीं कह सकते कि तुम्हें कोई अधिकार नहीं है कि तुम अपनी आने वाली पीढ़ियों की योग्यताओं को पहचान कर उन्हें बढ़ावा दो, या बिना सड़कों पर उतरे तुम अपने अधिकार पाने के पात्र नहीं हो. मेरा दृढ़ विश्वास है कि हम उस 10 प्रतिशत जनता के ऋणी हैं, और उस ऋणभार से मुक्त होकर हमें एक आदर्श राष्ट्र का निर्माण करना है.
अत: मैं निवेदन करता हूं कि हम सभी लोग अमेरिकी समाज को प्रतिगामी बनाने में सहायता करें, और जिस सम्मानजनक और समान व्यवहार की अपेक्षा हम अपने लिए करते हैं, वैसा ही व्यवहार हम अमेरिकी समाज के प्रत्येक बालक के साथ करें ताकि वो अपनी नैसर्गिक योग्यता के अनुरूप उच्चतम शिक्षा प्राप्त कर सके.
मैं मानता हूं कि सभी बच्चे समान रूप से क्षमतावान, योग्य, और निपुण नहीं होते, किंतु अपनी योग्यताओं के संवर्धन के लिए उन्हें समान अवसर अवश्य मिलने चाहिएं ताकि वो जीवन में खुद को साबित कर सकें.
हमें अधिकार है नीग्रो समाज से आशा करने का कि वो अपने उत्तरदायित्व को समझें, कानून का पालन करें, किंतु उन्हें भी अधिकार है इस बात की आशा करने का कि देश का कानून निष्पक्ष हो, और जैसा कि नई शताब्दी में प्रवेश के समय जस्टिस हर्लान ने कहा था, संविधान को पूरी तरह से वर्णांध होना चाहिए
यही मुद्दा आज चर्चा का विषय है और यही वह मुद्दा है जो इस राष्ट्र और इसके मूल्यों के लिए घोर चिंता का विषय बना हुआ है.इससे निपटने के लिए मुझे इस देश के सभी निवासियों का सहयोग चाहिए.

धन्यवाद.