Tuesday, August 1, 2017

पहले “रैगर रत्न पुरस्कार” देना, बाद में “रैगर रत्न” पदक की खिलाफत करना, राष्ट्रीय अध्यक्ष ने मेरी भावनाओ और मान-प्रतिष्ठा से खिलवाड़ किया है : सुनील बोकोलिया

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दिल्ली, लोकहित एक्सप्रेस, (रघुबीर सिंह गाड़ेगाँवलिया) । 25 दिसम्बर 2016 को जयपुर में सार्वजानिक सभा में अखिल भारतीय रैगर महासभा ने गौरवपूर्णं और सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार रैगर रत्नसुनील कुमार बोकोलिया को राष्ट्रीय अध्यक्ष भंवर लाल नवल ने अपने करकमलो से प्रदान किया था । लेकिन सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार रैगर रत्न देने के बाद में राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा विरोध सभा आयोजन किये जाने से रुष्ट होकर सुनील कुमार बोकोलिया ने “रैगर रत्न पुरस्कार” बापिस लौटा दिया ।
अखिल भारतीय रैगर महासभा के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार को रैगर रत्नके रुप में जाना जाता है। ये सम्मान रैगर समाज के किसी भी सदस्य को लिंग और उम्र के भेदभाव के बिना उत्कृष्ट कार्यो और विशेष योग्यता के लिए प्रदान किया जाता है। रैगर रत्न”  पुरस्कार रैगर समाज का गौरवपूर्णं और सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। अखिल भारतीय रैगर महासभा के मंत्रिमंडल और कार्यकारिणी का चुनाव समाज के 2501 प्रतिनिधियों के द्वारा किया जाता है । 
25 दिसम्बर 2016 को जयपुर में सार्वजानिक सभा में मुझे अखिल भारतीय रैगर महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा स्वहस्ताक्षरित रैगर रत्नप्रमाण पत्र अपने करकमलो से प्रदान किये जाने के बाद 8-1-2017 को रैगर रत्न के विरोध में सभा आयोजित कर 28-1-2017 को कार्यालय आदेश जारी करते है । ये दोनों कार्य मेरी भावनाओ और मान-प्रतिष्ठा को आघात करता है । इससे दुखी होकर मैंने रैगर रत्न बापिस लौटाने का निर्णय लिया ।
सुनील कुमार बोकोलिया ने अपने पत्र में कहा है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष को पदक से नाराज़गी थी तो प्रमाण पत्र पर हस्ताक्षर क्यों किये? क्या कोई रिटायर्ड IAS अधिकारी बिना सोचे समझे हस्ताक्षर है ? पुरस्कार पर बाकी के चार पदाधिकारी भी कुछ आंकलन करके ही हस्ताक्षर किये होंगे क्या वे समाज के जिम्मेदार लोग नहीं थे ? अखिल भारतीय रैगर महासभा ने मेरा पद गलत लिखकर मुझे मानसिक रूप से प्रताड़ित किया है, जिसके लिए मैंने उसी समय अवगत करा दिया था । ऐसा प्रतीत हो रहा है समाज के प्रति वफ़ादारी निभा रहे लोगो की वफादारी के साथ छेड़छाड़ शुरू हो गई है ।
इस घटनाक्रम को लेकर समाज के लोगो में अखिल भारतीय रैगर महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कार्यशैली से निराश और दुखी है । एक सज्जन ने तो यहाँ तक कह दिया की आज अखिल भारतीय रैगर महासभा में जो परिस्थितियां बनी हुई, उससे समाज का विकास होना मुश्किल है । ये कविता सुना दी:-
चुनाव जितने के लिए वादे किये हैं बहुत, किन्तु पूरा करेंगे ये वादा नहीं !
जिनके कार्यो में विश्वसनीयता नहीं, उनके सहारों की हमको ज़रूरत नहीं !!
जिनके आने से समाज का विकास ना हो, उन नेताओ की हम को ज़रूरत नहीं !

हम समाज विरोधियो से समाज बचाते रहे, पर आज कर्णधारो ने छलावा किया !!

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