Monday, July 24, 2017

नारी का अपमान सालो से चला आ रहा है।

भारत देश मे नारी का अपमान सालो से चला आ रहा है। नारी को पुरूष ने हमेशा अपनी जरूरत की वस्तु के रूप मे काम मे लिया है। और सालो से नारी इस दुख को अपना भाग्य समझ कर भोग रही है। सरकार चाहे कितने भी दावें कर ले आज भी कई क्षेत्रो मे नारी को बराबर का दर्जा इस देश मे नही दिया जाता है। किसी ना किसी बंधन मे बंधी नारी आज भी लाचार और अपने आप को बेबसी की जंजीरो मे जकडी नजर आयेगी। जिस नारी को भगवान ने भी खुद से बडा दर्जा दिया आज उसी नारी की दशा देखो पहले गर्भ मे मरने का डर ,और अगर जिंदा बाहर निकली तो हवानो का डर और अगर वो उनसे भी बच गई तो दहेज लोभीयो का डर उसके मन मे बसा रहता है। एक नारी जब पुरे जग से हार जाती है तो वह अपने जीवन को जीने के लिए अकेले ही इस संसार मे जीने की कोशिश करती है। लेकिन हवानो के द्वारा उन पर अपनी तुष्ण ईच्छा के कारण अपनी हवस का शिकारी बना लिया जाता है। और इस गंदगी मे वो एक नये नाम से जानने लगती है जिसे हम वेश्या का दर्जा देते है ।कोई भी नारी अपनी स्वेच्छा से वेश्या नही बनती है समाज के दरिदे ही उसे विवश करते है और उसे वेश्या का नाम भी उनके द्वारा ही दिया होता है।  एक नारी अपने सुहाग को बचाने के लिए नाजाने कितने करवॉ चौथ करती है पर विडम्बंना देखो नारी की वो अपनी लाज नही बचा पाती है आज संसार मे वेश्या को लोग देखते तो बुरी नजरो से है। लेकिन ऑखो मे हवस भरी रहती है। कोई भी नारी अपने जीवन को इस गंदगी मे नही पलने देना चाहती है। लेकिन समाज मे फैली गंदगी व बुराई उसे इस गंदगी मे खिचं लाती है। हर एक व्यक्ति को उसके जिस्म से चाह होती है। लेकिन कोई उसकी विडम्बंना नही समझता है। और एक दिन वो पेशेवर वेश्या के नाम से जानी जाती है। जिसकी जिदंगी समाज से अलग होती है। उसके कोख से पैदा होने वाली भी इस माहौल मे अपने आप को ढाल लेती है। आज तक ना जाने कितनी बार सरकार बनी कितनी बार सरकार बिगडी किन्तु आज तक किसी सरकार ने इस मामले मे कोई ठोस कदम नही उठाये। आखिर समाज मे इनको जिने का हक क्यू नही दिया जाता है। आखिर कब तक इस दर्द के साथ उसे जिना पडेगा। सरकार या प्रशासन चाहे तो समाज मे फैली इस बुराई को खत्म कर इन्हे भी समाज के साथ चलना सिखा सकती है। जिससे आने वाली पिढी इस कलंक से मुक्ति पा सके। आज सरकार के साथ साथ समाज के हर व्यक्ति को बदलना होगा । हर व्यक्ति की आखो मे हर नारी बहन व मॉ के रूप मे होगी तब ही देश मे बदलाव सम्भव है। आज की सोच से देश के कल मे बदलाव है।

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