Sunday, July 2, 2017

सास-बहू

‘सास’ बाप रे...! यह शब्द ही अपने-आप में एक हौआ, दहशत लिए हुए है। ‘सास’ इस शब्द से ही हमारी आंखों के सामने एक ऐसे नारी की तस्वीर आती है, जो बात-बेबात बहू पर ताने कसती है और प्रताड़ित करती है। सास के इस रुप को भुना कर, सास-बहू के खट्टे-मिठ्ठे रिश्ते को नमक-मिर्च का तड़का लगा कर बनाएं हुए सिरियलों से ही एकता कपूर टी. व्ही. की महारानी बनी थी। क्योंकि ज्यादातर सास का यहीं रुप प्रचलन में है।

यद्यपि आज की सासुएं थोड़ा बदल रही है। वे बहू को एक इंसान का दर्जा देने लगी है। बहू की इच्छाओं का भी ख्याल रखने लगी है। लेकिन क्या आप कल्पना भी कर सकते है कि कोई सास अपनी बहू के लिए खुद दूसरों के घरों में झाडू-पोछा भी कर सकती है? तो आइए, आज हम मिलेंगे एक ऐसी सास से जिसके बारें में जानने के बाद आप भी कहेंगे, “काश, ऐसी सास भगवान सबको दें...!!” हमारा मीडि‌या ज्यादातर नकारात्मक खबरों को ही प्राधान्यता देता है। खबरों की नकारात्मकता इतनी ज्यादा है कि एक प्रतिष्ठित अखबार को सप्ताह के एक दिन “नो निगेटिव न्युज” की शुरवात करनी पड़ी! खबरें देख और सुनकर ऐसा लगता है कि जैसे हमारें देश में कहीं भी कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा है। अत: “आपकी सहेली” की हमेशा यहीं कोशिश रहती है कि अच्छी ख़बरे पाठकों तक पहुँचायें ताकी सकारात्मकता फैले।

कौन है ये सास?
मिलिए, राजस्थान के कोटा के अनंतपुरा की रहनेवाली 47 साल की गीताबाई से। इन्हें हमेशा यहीं दु:ख था कि न तो वह खुद पढ़ पाई और न ही आर्थिक संकट के चलते अपनी बेटी को पढ़ा पाई। लेकिन जब बेटे की शादी की और बहू ने आगे पढ़ने की इच्छा जाहिर की, तो गीताबाई ने तुरंत हामी भर दी। 20 साल की बहू रुमाली 11वीं तक ही पढ़ी थी कि शादी हो गई। पहले तो गीताबाई समाज की लाज शर्म के चलते पति और अपने बेटे से बात करने की हिम्मत नहीं जुटा पाई। लेकिन फिर अपने बेटे और पति को मनाया। लेकिन समस्या जहां की तहां थी, पैसे की। तो उन्होने फैसला किया की वो और ज्यादा घरों मे झाडू-पोछा करेंगी!

अब गीताबाई बहू को आगे पढ़ाने के लिए ज्यादा घरों में झाडू-पोछा करती है। इतना ही नहीं तो बहू के लिए टिफिन भी तैयार कर के देती है। वे चाहती है कि बहू एक दिन पढ़ लिखकर अपने पैरों पर खड़ी हो।

अपने बेटे एवं बेटी को पढ़ाने के लिए तो हर माँ-बाप प्रयत्नशील रहते है लेकिन एक बहू को पढ़ाने के लिए...! सच में, एक अनपढ़ गीताबाई की उच्च सोच और मानवतावादी कार्य को मैं व्यक्तिश: सलाम करती हूं। और ईश्वर से प्रार्थना करती हूं कि “काश, ऐसी सास भगवान सबको दें...!!”

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