सर्वे भवन्तु
सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः,
सर्वे भद्राणि
पश्यन्तु, मा कश्चिद् दुःख भाग
भवेत्॥
ज्ञान लक्ष्य (NGO) द्वारा “विध्यार्थी मार्गदर्शन शिविर” का आयोजन 27 और 28 मई, 2016 को DSIDC कम्युनिटी वर्क सेन्टर, ज्वाला पुरी , दिल्ली मे किया जा रहा है । विध्यार्थियोँ के शारीरिक, मानसिक, बौदिक एँव आध्यात्मिक विकास व नैतिक निर्माण के साथ रोजगार के लिये समुचित मार्गदर्शन एँव सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से इस शिविर का आयोजन किया जा रहा है ।
प्रोफेसनल काउँसलरोँ के साथ समूण की 5 सदस्यी टीम इस शिविर मे अपना सहयोग प्रदान करते हुये विध्यार्थियोँ का मार्गदर्शन करेगी । बच्चोँ मेँ सामान्य ज्ञान की 200 प्रशनो की एक पुस्तिका 2 दिन पहले वितरित की जायेगी और इसी पुस्तक के आधार पर एक प्रतिस्प्रधा का भी आयोजन किया जायेगा । मेधावी बच्चोँ को समूण टीम की ओर से पुरस्क्रत किया जायेगा साथा ही और भी अन्य सारे क्रियाकलापोँ का आयोजन किया जायेगा ।
अनाथ, गरिब, विकलाँग व आर्थिक रुप से कमजोर व मानसिक रुप से प्रबल विध्यार्थियोँ के लिये आगे की पढाई हेतु समूण हर सम्भव प्रयास करेगी ।
आप समूण द्वारा आयोजित इस शिविर को सफल बनाने हेतु अपना सहयोग प्रदान कर सकतेँ है । सभी सामर्थ्यवानोँ से विनम्र निवेदन है कि वे अपने प्रतिभा व क्षमता के अनुसार विध्यार्थियोँ के उज्ज्वल भविष्य हेतु अपना योगदान देने का शुभ सँकल्प लेँ ।
मनुष्य को सामाजिक प्राणी माना गया है। उससे समाज बनता भी है और मनुष्य समाज का ऋणी भी है। समाज से ही सीखकर वह अपनी कीमत बनाता है। मनुष्य ऋणी है तो वह अपने इस ऋण को चुकाने के लिए अपनी वृत्ति में दान भाव को जागृत करे। जैसे-जैसे वह किसी से ले रहा है, वैसे-वैसे वह उसी को लौटाने का भी प्रयत्न करे।
गीता में दान के कई प्रकार बताये गये हैं जिनमें नि:स्वार्थ भाव से किया गया दान सर्वोत्तम माना गया है। लेकिन सभी प्रकार के दानों में विद्या का दान सर्वश्रेष्ठ बताया गया है।
प्रोफेसनल काउँसलरोँ के साथ समूण की 5 सदस्यी टीम इस शिविर मे अपना सहयोग प्रदान करते हुये विध्यार्थियोँ का मार्गदर्शन करेगी । बच्चोँ मेँ सामान्य ज्ञान की 200 प्रशनो की एक पुस्तिका 2 दिन पहले वितरित की जायेगी और इसी पुस्तक के आधार पर एक प्रतिस्प्रधा का भी आयोजन किया जायेगा । मेधावी बच्चोँ को समूण टीम की ओर से पुरस्क्रत किया जायेगा साथा ही और भी अन्य सारे क्रियाकलापोँ का आयोजन किया जायेगा ।
अनाथ, गरिब, विकलाँग व आर्थिक रुप से कमजोर व मानसिक रुप से प्रबल विध्यार्थियोँ के लिये आगे की पढाई हेतु समूण हर सम्भव प्रयास करेगी ।
आप समूण द्वारा आयोजित इस शिविर को सफल बनाने हेतु अपना सहयोग प्रदान कर सकतेँ है । सभी सामर्थ्यवानोँ से विनम्र निवेदन है कि वे अपने प्रतिभा व क्षमता के अनुसार विध्यार्थियोँ के उज्ज्वल भविष्य हेतु अपना योगदान देने का शुभ सँकल्प लेँ ।
मनुष्य को सामाजिक प्राणी माना गया है। उससे समाज बनता भी है और मनुष्य समाज का ऋणी भी है। समाज से ही सीखकर वह अपनी कीमत बनाता है। मनुष्य ऋणी है तो वह अपने इस ऋण को चुकाने के लिए अपनी वृत्ति में दान भाव को जागृत करे। जैसे-जैसे वह किसी से ले रहा है, वैसे-वैसे वह उसी को लौटाने का भी प्रयत्न करे।
गीता में दान के कई प्रकार बताये गये हैं जिनमें नि:स्वार्थ भाव से किया गया दान सर्वोत्तम माना गया है। लेकिन सभी प्रकार के दानों में विद्या का दान सर्वश्रेष्ठ बताया गया है।
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