अभी हाल ही में मेरा दो
सामाजिक खबरों की ओर ध्यान आकर्षित हुआ l पहली खबर टोंक जिले की निवाई तहसील के बस्सी गाँव की है
जहाँ महिलाओ के साथ ज्यादती हुई l दूसरी राजस्थान की राज्यसभा के लिए सदस्य भेजने
की थी l कहने की आवश्यकता नहीं है की दोनों ही ख़बरो का सम्बन्ध प्रत्यक्ष और
अप्रत्यक्ष रूप से रैगर समाज की एकता से ही है l जनगणना के अनुसार राजस्थान में
अनुचित जातियों में रैगर समाज की जनसँख्या सर्वाधिक है, परन्तु रैगर समाज की
संस्थाओ और संघटनो में आपसी एकता का आभाव है l समाज के विकास के प्रति उदासीनता को
लेकर समाज के प्रतिनिधियों पर प्रश्नचिन्ह लगे है l क्या सामाजिक राजनैतिक विकास निरंतर
बनाये रखना इनका दायित्व नही था ? क्या इन जन प्रतिनिधियों की समाज के प्रति कोई
जवाबदेही नही है ?
वास्तव में, हमारा व्यवहार
हमारे चरित्र की व्याख्या करता है और हमारे व्यक्तित्व का परिचय भी देता है l क्या
शिक्षा की कमी के कारण लोग विकास का महत्व को समझ नहीं पा रहे है ? वर्तमान समय
में नैतिक मूल्यों को विकसित कर चरित्र का निर्माण करना बहुत जरुरी हो गया है l
शिक्षा का अर्थ आज केवल नौकरी पाने के लिए डिग्रीयां प्राप्त करने तक सीमित हो गया
है l शिक्षा का अभिप्राय संस्कारो के माध्यम से युवाओ को बेहतर नागरिक बनाना होना
चाहिए l चरित्र निर्माण के साथ-साथ शिक्षा का उद्धेश्य नई पीढ़ी को नागरिक एवम
सामाजिक कर्तव्यों के प्रति जागरूक करना भी होना चाहिए, ताकि वह समाज के लिए
उपयोगी बने, स्वार्थी नहीं l मुझे ये कहने में जरा भी संकोच नहीं कि अधिकांश
सरकारी स्कूलो में ना तो विद्यार्थियों को संस्कार दिए जाते है और ना ही उन्हें
नौकरियों के लिए तैयार किया जाता है l देश और समाज के प्रति लोगो के मौलिक अधिकार
और कर्तव्यों का भारतीय संविधान में वर्णन वर्णित है l अत: हम लोगो को देश और समाज
पर चिल्लाने और दोषी ठहराने के स्थान पर देश और समाज के प्रति अपने कर्तव्यों को
भी समझना चाहिए l देश और समाज के विकास के लिए हम सभी को व्यक्तिगत रूप से
जिम्मेदार है l यदि हम देश और समाज की बेहतरी के लिए कुछ करना ही चाहते है तो हम
सभी को अपने चरित्र में जरुरी बदलाव लाने होंगे l
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