हे
ईश्वर, किसी भी मॉं-बाप को लडकियां मत देना ।
अगर लडकियां देना ही चाहते हैं तो इनके साथ गरीबी न दें और
इतना पैसा दें ताकि दहेज और अन्य खर्चे पूरे हो जांयें ।
जिस दिन किसी के
घर में कन्या का जन्म होता है, परिवार के किसी
सदस्य को कोई विशेष प्रसन्नता नही होती । मां बाप के लिये कन्या के जन्म के
क्षण से ही इस बात की चिन्ता सताने लगती है कि ब्याह शादी के समय वे दहेज और अन्य
खर्चों के लिये पैसा कहां से लायेंगे । चेतन अथवा अवचेतन मष्तिष्क में यह बात कन्या
की शक्ल सूरत देखते ही आ जाती है ।
समय के साथ साथ
यह सत्य अधिक मुखर होकर सामनें आता है । चूंकि मां बाप सब समझते हैं कि उनकी
आर्थिक औकात कितनी है, इस माप तौल के
हिसाब से वे कन्या के लिये क्या कर सकते हैं, इस बात का गुणा भाग लगााने की कल्पना करते हैं । यह सब
केवल मन की दिलासा देंनें के अलावा और कुछ नहीं होता क्योकि वास्तविक खतरा अभी
दूर होता है और यह उस वर्षों बाद आनें वाले खतरे से निपटनें की कवायद मात्र होती
है । लडकी और लडकों में माता पिता पालन
पोषण करनें मे कोई भेदभाव नहीं करते ,
यह बात सत्य है । बल्कि होता यह है कि मां बाप
लडकी के पालन पोषण मे अधिक रूचि लेते हैं । शिक्षा मे भी कोई कमीं नहीं करते ,
लडकी जितनीं शिक्षा ग्रहण करना चाहे, मां बाप शिक्षा के लिये प्रोत्साहित करते हैं और अपनीं सामर्थ्य के अनुसार सब कुछ
करते हैं । इसमें अपवाद भी हो सकते हैं, फिर भी ऐसा नहीं है कि सभी माता पिता
एक जैसी विचार धारा वाले हों ।
तमाम परिवार इस तरक्की पसन्द जमानें में भी मौजूद
हैं, जो लडकियों को न केवल
शिक्षा से वंचित करते हैं बल्कि उन्हें अधिक पढ़नें के लिये हतोत्साहित भी करते
हैं । इसके पीछे कई कारण हैं । पहला यही है कि लड़का तो सारा जीवन माता पिता के
पास रहता है और बड़ा होकर पिता के खानदान का नाम आगे बढायेगा । कमाई करेगा तो घर का
खर्च चलेगा । तुलनात्मक तौर पर लड़की के
साथ एसा है नहीं । लड़की को पढ़ा भी देंगें तो फायदा उसकी ससुराल वाले उठायेंगे ।
पढ़ाई में पैसा खर्च होता है , यह एक प्रकार का इनवेस्टमेंट है । मां बाप यदि
लड़की को डाक्टर , इंजीनियर,
एमबीए बना देते हैं तो इस पढ़ाई का फायदा आखिर
में ससुराल वाले उठायेंगें । पैसा खर्च करते करते मर गये मां बाप, जिन्होंनें अपनी खून पसीनें की कमाई से लड़कियों को पढ़ाया,
पैसा खर्च किया , लेकिन उनके हाथ में क्या आया । दहेज में , शादी में , वर ढूंढनें में यब जगह तो पैसा ही खर्च हौता है और पैसे
किसी पेड़ पर नहीं उगते और न उनकी कहीं
खेती होती है ।
कन्या भूण हत्या
के पीछे यही कुछ कारण हैं । जो लोग कन्या
भूण समापन करते हैं , मेंरे दृष्टि कोण
से इसमें कुछ भी गलत नहीं है । समस्यायें होंगी तो लोग उसका रास्ता भी निकालते हैं ।
आज का हाल यह है
कि एक लड़की की शादी में अमूमन कम से कम 6 लाख रूपये से अधिक का खर्च आता है । जिसे एकदम निम्न श्रेणी का किफायती
विवाह कह सकते हैं । क्या एक साधारण , सामान्य व्यक्ति इस खर्च को उठानें की हिम्मत जुटा सकता है, जिसकी आमदनीं छह से दस हजार रूपये महीनें हो ।
ऐसा व्यक्ति क्या खायेगा, क्या पहनेंगा,
कैसे अपनें जीवन को बचायेगा, फिर इस दुंनिया में क्या इसी लिये आये हैं कि केवल तकलीफें
झेलो और आराम मौज मस्ती के लिये सोचो मत । एक कन्या को पहले जन्म दीजिये,फिर उसकी परवरिश कीजिये । परवरिश कोई ऐसे ही
नहीं हो जाती, इसमें तिल तिल
करके कितनीं रकम और कितना पैसा खर्च होता है । फिर पढ़ाई मार डालती है । इस मंहगाई
के दौर में किस तरह की मंहगी पढ़ायी है, यह किसी से छुपा नहीं है । वर्षों तक
पढायी होती है कितना पैसा खर्च
होता है । लडकियों की सुरक्षा करना भी एक जहमत भरा काम है । पता नहीं कब किसकी
बुरी नज़र लगे , कुछ भी शारीरिक
अथवा यौन उत्पीड़न, हो सकता है । फिर अंत में लडंका ढूंढिये और
शादी करिये । यह कहना और लिखना जितना आसान
है, ऐसा है नहीं ।
पढायी तक तो
लड़की आपके पास रही , यहां तक तो आपका
नियंत्रण रहा । जब योग्य वर की तलाश में निकलेंगें तब आटे दाल का भाव पता चलता है
। ऐसी ऐसी लनतरानी लड़के वाले पेलते हैं कि स्वयं को आत्मग्लानि पैदा होंनें
लगती है कि लड़की क्या पैदा की, मानों कोई गुनाह कर दिया है, कोई पाप कर दिया है । जितनीं कीमत का वर चाहो
मिल जायेगा । आप में दम होंनी चाहिये पैसा खर्च करनें के लिये । लड़के वालों को
अपनें लड़के की कीमत चाहिये । लड़के के बाप के अलावा लड़के की मां और घर की दूसरी
महिलायें भी इस कीमत वसूली में मर्दों से दो कदम आगे हैं ।
इसमे कतई दो राय
नहीं हो सकती है कि इस समस्या की मूल में आर्थिक अवस्था, सुरक्षा से जुड़े पहलू , अधेड़ अवस्था या बृद्धावस्था की दहलीज पर घुसते ही मानसिक
और शारीरिक टेंशन की समस्या , अनावश्यक
भागदौड़ , लड़के या योग्य वर ढूंढनें की शरीर और मन दोंनों
तोड़ देनें वाली कवायदें , भागदौड़ ,
जब तक लड़का न मिल जाय तब तक का मानसिक टेंशन ,
बेकार का सिद्ध होंनें वाले उत्तर , जलालत से भरा लोंगों का , लड़के वालों का व्यवहार झेलकर हजारों बार ,
लाखों बार यही विचार उठते हैं कि लडकी न पैदा
करते तो बहुत अच्छा होता । स्वयं को
अपराध बोध होंनें लगता है कि बेकार में लड़की पैदा की , एक जलालत और अपनें सिर पर ओढ़ ली । शांति , चैन , मन की प्रसन्नता सब सब नष्ट हो जाती है । आप जो काम कर रहें हैं , उसमें भी आप पिछड़तें हैं । पास , पडोंस , हेती , व्योवहारी ,
मित्र आदि कहनें लगते हैं कि लड़की क्या
कुंवारी ही घर पर बैठाये रक्खेंगे ।
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कन्या भूण हत्या
कुछ कारण हैं ।
जो लोग कन्या भूण समापन करते हैं , मेंरे दृष्टि कोण से इसमें कुछ भी गलत नहीं है । समस्यायें होंगी तो लोग उसका
रास्ता भी निकालते हैं । आज का हाल यह है
कि एक लड़की की शादी में अमूमन कम से कम 6 लाख रूपये से अधिक का खर्च आता है । जिसे एकदम निम्न श्रेणी का किफायती
विवाह कह सकते हैं । क्या एक साधारण , सामान्य व्यक्ति इस खर्च को उठानें की हिम्मत जुटा सकता है, जिसकी आमदनीं छह से दस हजार रूपये महीनें हो ।
ऐसा व्यक्ति क्या खायेगा, क्या पहनेंगा,
कैसे अपनें जीवन को बचायेगा, फिर इस दुंनिया में क्या इसी लिये आये हैं कि केवल तकलीफें
झेलो और आराम मौज मस्ती के लिये सोचो मत । एक कन्या को पहले जन्म दीजिये,फिर उसकी परवरिश कीजिये । परवरिश कोई ऐसे ही
नहीं हो जाती, इसमें तिल तिल
करके कितनीं रकम और कितना पैसा खर्च होता है । फिर पढ़ाई मार डालती है । इस मंहगाई
के दौर में किस तरह की मंहगी पढ़ायी है, यह किसी से छुपा नहीं है । वर्षों तक
पढायी होती है कितना पैसा खर्च
होता है । लडकियों की सुरक्षा करना भी एक जहमत भरा काम है । पता नहीं कब किसकी
बुरी नज़र लगे , कुछ भी शारीरिक
अथवा यौन उत्पीड़न, हो सकता है । फिर अंत में लडंका ढूंढिये और
शादी करिये । यह कहना और लिखना जितना
आसान है, ऐसा है नहीं ।पढायी तक तो
लड़की आपके पास रही , यहां तक तो आपका
नियंत्रण रहा । जब योग्य वर की तलाश में निकलेंगें तब आटे दाल का भाव पता चलता
है
कन्या भ्रूण
समापन एक प्रकार की सामाजिक समस्या है, जो पूर्णतया धन से जुड़ी है, लेकिन इसके साथ
साथ कुछ दूसरे भी कारण हैं । समाज व्यक्तियों से बनता है । व्यक्तियों के सामनें
समस्यायें होंगी तो लोग उसका समाधान भी ढूंढेंगे । इन्हें जो अपनें हित का
समाधान मिलता है तो , वे उसे अपनानें
में जरा भी नहीं हिचकिचायेंगे । आज का समाज झंझट पालना कतई नहीं चाहता । मां बाप
जानते हैं कि लड़की पैदा करनें में सिवाय नुकसान के कोई फायदा नहीं है । यह
विशुद्ध हानि और लाभ के गणित पर आधारित सस्वार्थ एकल दर्शन है ।
आज आप शादी करनें
जाते हैं तो कम से कम 6 लाख रूपये दहेज
में खर्च होगा । यह सबसे किफायती शादी होगी । आज के दिन , जो कन्या पैदा होगी उसका विवाह यदि औसत में 30 वर्ष की उम्र में करेंगें तो दहेज की क्या
हालत होगी । एक अन्दाज के मुताबिक यह रकम 40 लाख से साठ लाख के आसपास होंनी चाहिये । क्योंकि जिस
रफ्तार से मंहगाई बढ़ रही है उससे तो यही स्थिति बनती है । आपके यहां यदि एक लड़की
है तो प्रतिवर्ष आपको सवा लाख से लेकर दो लाख रूपये बचानें पड़ेंगे , लडकी के शादी होंनें तक । यह रकम कहां से
लायेंगे , यह सोचना आपका काम है ।
कन्या भ्रूण
समापन एक प्रकार की सामाजिक समस्या है, जो पूर्णतया धन से जुड़ी है, लेकिन इसके साथ
साथ कुछ दूसरे भी कारण हैं । समाज व्यक्तियों से बनता है । व्यक्तियों के सामनें
समस्यायें होंगी तो लोग उसका समाधान भी ढूंढेंगे । इन्हें जो अपनें हित का
समाधान मिलता है तो , वे उसे अपनानें
में जरा भी नहीं हिचकिचायेंगे । आज का समाज झंझट पालना कतई नहीं चाहता । मां बाप
जानते हैं कि लड़की पैदा करनें में सिवाय नुकसान के कोई फायदा नहीं है । यह
विशुद्ध हानि और लाभ के गणित पर आधारित सस्वार्थ एकल दर्शन है । इसमे कतई दो राय
नहीं हो सकती है कि इस समस्या की मूल में आर्थिक अवस्था, सुरक्षा से जुड़े पहलू , अधेड़ अवस्था या बृद्धावस्था की दहलीज पर घुसते ही मानसिक
और शारीरिक टेंशन की समस्या , अनावश्यक
भागदौड़ , लड़के या योग्य वर ढूंढनें की शरीर और मन दोंनों
तोड़ देनें वाली कवायदें , भागदौड़ ,
जब तक लड़का न मिल जाय तब तक का मानसिक टेंशन ,
बेकार का सिद्ध होंनें वाले उत्तर , जलालत से भरा लोंगों का , लड़के वालों का व्यवहार झेलकर हजारों बार ,
लाखों बार यही विचार उठते हैं कि लडकी न पैदा
करते तो बहुत अच्छा होता । स्वयं को
अपराध बोध होंनें लगता है कि बेकार में लड़की पैदा की , एक जलालत और अपनें सिर पर ओढ़ ली । शांति , चैन , मन की प्रसन्नता सब सब नष्ट हो जाती है । आप जो काम कर रहें हैं , उसमें भी आप पिछड़तें हैं । पास , पडोंस , हेती , व्योवहारी ,
मित्र आदि कहनें लगते हैं कि लड़की क्या
कुंवारी ही घर पर बैठाये रक्खेंगे । आज आप शादी करनें जाते हैं तो कम से कम 6 लाख रूपये दहेज में खर्च होगा । यह सबसे
किफायती शादी होगी । आज के दिन , जो कन्या पैदा
होगी उसका विवाह यदि औसत में 30 वर्ष की उम्र
में करेंगें तो दहेज की क्या हालत होगी । एक अन्दाज के मुताबिक यह रकम 40 लाख से साठ लाख के आसपास होंनी चाहिये । क्योंकि
जिस रफ्तार से मंहगाई बढ़ रही है उससे तो यही स्थिति बनती है । आपके यहां यदि एक
लड़की है तो प्रतिवर्ष आपको सवा लाख से लेकर दो लाख रूपये बचानें पड़ेंगे ,
लडकी के शादी होंनें तक । यह रकम कहां से
लायेंगे , यह सोचना आपका काम है
।
समस्या का
समाधान-
1- कन्या भ्रूण हत्या की समस्या को रोकनें का समाधान केवल
व्यक्तियों की इच्छा पर निर्भर है । मां बाप क्या चाहते हैं यह सब उनके विवेक
पर छोड़ देना चाहिये । मेंरी सलाह यह है कि यदि पहला बच्चा लड़की भ्रूण है ,
यह पता चल जाय , तो इस पहले भ्रूण का समापन न करायें , किसी भी हालत में । पहले गर्भ का समापन करानें
से स्थायी बन्ध्यत्व की समस्या हो सकती है या किसी गम्भीर प्रकार की यौन
जननांगों की बीमारी , जो स्वास्थ्य
को लम्बे अरसे तक बिगाड़ सकती है । प्रथम गर्भ तो किसी हालत में न गिरवायें । यह
खतरनाक है ।
2- आजकल लिंग
परीक्षण करना सरल है । यह मां बाप की मर्जी पर र्निभर करता है कि वे कन्या पालना
चाहते हैं । अगर नहीं चाहते तो इसका समापन कराना ही श्रेयस्कर है । अभी समापन
कराना सस्ता है । एक कन्या का पालन जरूर करें, यदि वह प्रथम प्रसव से हो ।
3- यह न विचार करें
कि आप के इस कार्य से लिंग का अनुपात कम हो रहा है या अधिक । यह एक सामाजिक और
आर्थिक समस्या से जुड़ा हुआ पहलू है । इस समस्या का समाधान भी समाज को ही करना
पडेगा । इसका ठेका आपनें अकेले नहीं ले रखा है ।
4- लिंग अनुपात की गड़बड़ी से समलैंगिक विवाह को प्रोत्साहन
मिलेगा । लड़का , लड़का से और लड़की, लड़की से शादियां करेंगी तो दहेज का प्रश्न नहीं होगा । ऐसे ब्याह से अपनें
देश की जनसंख्या की समस्या भी कुछ सीमा तक कम होगी ।
5- यदि बाइ-द-वे
किसी मजबूरी से कन्या जन्मना ही चाहें जो जरूर जन्म दें । यदि आपको कन्या को
पालनें पोषनें में दिक्कत आ रही तो किसी सुपात्र व्यक्ति , निसंतान को कन्या जन्मतें ही दे दें । यह
बहुत बड़ा दान है ।
६- वर्तमान मे
ऐसे बहुत से दम्पत्ति है जिनके कोई भी बच्चे किसी कारण अथवा शारीरिक विकृति के
कारण से नही हुये है / ऐसे बहुत से दम्पत्ति है जो चाह्ते है कि लड़्का न सही कोई
लड़्की ही मिल जाये और वे किसी कन्या को पालना चाहते है / आप कन्या भ्रूण हत्या न
करे क्योंकि किसी जीव को मारना धार्मिक और नैतिक स्तर पर कतई उचित नही ठहराया जा
सकता है / सबसे अच्छा यही होगा कि नि:सन्तान दम्पत्तियों को कन्या शिशु जन्मते ही
शिशु-दान कर दें /
७- लोक लाज के भय
से शायद बहुत से दम्पत्ति इस तरह का कार्य सार्वजनिक तौर पर न कर सकें , इसके लिये एन०जी०ओ० जैसे सन्गठन और सामाजिक
सनगठन जन्ता द्वारा स्थापित किये जायें जहां क्न्या जन्मते ही उन नि:सन्तान
दमपत्तियों को दिया जा सके जो कन्या की परवरिश करने में सक्षम हों /
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