Thursday, June 22, 2017

अभिव्यक्ति

अखिल भारतीय रैगर महासभा (पंजीकृत) के युवा प्रकोष्‍ठ के तत्‍वाधान में सांगानेर स्‍टेडियम, जयपुर में 6 मार्च 2016रविवार को युवा महासम्‍मेलन का आयोजन किया गया। मैं सामाजिक पत्रकार होने के नाते अखिल भारतीय रैगर महासभा (पंजीकृत) के युवा प्रकोष्‍ठ के तत्‍वाधान में आयोजित युवा महासम्‍मेलन को कवर करने के लिए दिल्ली से शनिवार रात्रि 11 बजे बस से चला l

रात में कल्पना करता जा रहा था कि जब जयपुर में 6, 7 अक्‍टूबर, 1984 को श्री धर्मदास शास्‍त्री संसद सदस्‍य के नेतृत्व में चतुर्थ अखिल भारतीय रैगर महासम्‍मेलन आयोजित किया गया था, तो उस समय जयपुर की सडको पर चारो ओर भारत के कौने-कौने से आये रैगर समाज का जन सैलाब दिखा था, उस वक्त तो आज की तरह संचार के साधन भी नहीं थे । उस महासम्‍मेलन से समाज में जागृति भी आई है और विज्ञापन तथा कम्युनिकेशन की उतम तकनिकी भी है, इसके अलावा उस समय संगठन के 1290 प्रतिनिधि सदस्य भी सीमित संख्या में थे आज तो संगठन की ताकत भी अच्छी खासी है,  इसलिए 6 मार्च 2016 के इस सम्मलेन को लेकर मन में उमंग, उत्साह और जोश था कि आज तो जयपुर में रैगर समाज अपने  पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ देगा और नया इतिहास रचेगा।
रविवार सुबह हमारी बस 33 जिलो के गौरवशाली प्रान्त और 35 लाख रैगर समाज की आबादी वाले राजस्थान की राजधानी के ह्रदय स्थल गुलाबी नगरी जयपुर में प्रवेश कर रैगर छात्रावास पर पहुंची l महासम्‍मेलन में अन्य राज्यों से आने वाले अतिविशिष्ट, विशिष्ट अतिथियों के लिए छात्रावास में ठहरने का इंतजाम किया गया था l मै नहाने के बाद चाय नाश्ता करने के बाद अपने दिल्ली वाले साथियों के साथ बस से सांगानेर स्‍टेडियम पहुंचे । उस समय स्‍टेडियम में संयोजक नवरतन गुसाईवाल की देखरेख में टेंट वालो की ओर से साज-सज्जा की कारवाही चल रही थी ।

सांगानेर स्‍टेडियम का नज़ारा देख मैं सोच में डूब गया और 1984 के महासम्मेलन के अतीत के साथ निष्पक्ष विवेचनात्मक और तुलनात्मक अध्ययन करने पर विवश हो गया । मेरे साथ दिल्ली से गये लोग बार बार मेरी ओर देख रहे थे । मै समाज के दिवंगत महापुरुषों धर्मगुरु स्वामी ज्ञान स्वरुप जी महाराज, त्यागमूर्ति स्वामी आत्माराम लक्ष्य जी और समाज के हृदयसम्राट नेता श्री धर्मदास शास्त्री जी को मैं बता रहा था की आपके जमाने के रैगर समाज से आज के रैगर समाज ने काफी तरक्की कर ली है। आप तो घर में बनी रोटी साथ लेकर; खादी के उबड़-खाबड़ कपडे पहनकर; कभी पैदल या कभी जनता गाडी की सवारी कर समाज विकास रहे थे लेकिन आज देखो आप ही द्वारा बनाई गई अखिल भारतीय रैगर महासभा  के पदाधिकारी आज हवा-हवाई का अत्यानन्द ले रहे है। आपको तो रैगर समाज की तरक्की देखकर खुश होना चाहिए।  दिवंगत सभी महापुरुष मेरी ओर क्रोधित होकर देखने लगे। मुझे डाँटने लगे। मैं फिर एकबार घबरा गया; हड़बड़ा गया।  मैंने उन्हें कहा कि, '' ना तो मैं अखिल भारतीय रैगर महासभा का पदाधिकारी हु और ना ही किसी राजनैतिक दल से जुड़ा हुआ हूँ।  मैं तो एक साधारण सा पत्रकार हु जो समाज के लोगो को समाज के विकास से परिचित करवाता हूँ। 'मेरा उत्तर सुनकर दिवंगत सभी महापुरुष खुश हो गए लेकिन उन्होंने आदेश दिया कि इस पर लिखो। सारे समाज को बतावो की रैगरो का असली स्वरुप क्या है?  मैंने कहा प्रभु इस पर अकेले रघुबीर सिंह गाड़ेगाँवलिया के लिखने से क्या फायदा ?   हमारे आभासी संवाद को विचलित किया मेरे भतीजे मुकेश गाड़ेगाँवलिया ने : चाचा जी --- कैसे हो ? मैंने कहा बेटा सब ठीक है । युवा प्रकोष्‍ठ के तत्‍वाधान में आयोजित इस युवा महासम्‍मेलन में उपस्थित होकर में बहुत गौरवान्वित हूँ।

सम्मलेन स्थल पर मुख्‍य मंच के दाए बाए एक-एक मंच और बनाया गया जिन पर बाएं मंच पर महासभा के राष्‍ट्रीय एवं प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्‍यों को मंचासिन किया गया व दाए मंच पर युवा प्रकोष्‍ठ के राष्‍ट्रीय एवं प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्‍यों को मंचासिन किया गया । मुख्‍य मंच पर अखिल भारतीय रैगर महासभा के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष श्रीमान बी.एल. नवल, मुख्‍य अतिथि माननीय श्री विकेश खोलिया (उपाध्‍यक्ष अनुसूचितजाति आयोग राजस्‍थान सरकार), विशिष्ठ अतिथियों में पूर्व विधायक दौसा भुधरमल वर्मा, पर्व विधायक केकड़ी बाबूलाल सिंघाडिया, महासभा वरिष्‍ठ उपाध्‍यक्ष सुधा जाजोरिया, उपाध्‍यक्ष महासभा अशोक तौणगरिया, पूर्व आई.पी.एस. पी.एन. रछौया, पूर्व न्‍यायाधिश पी.एम. जलुथरिया, प्रधान आयुक्‍त कस्‍टम सी.एम. चांदोलिया, जिला प्रमुख अजमेर वंदना नोगिया, राजस्‍थान प्रदेश अध्‍यक्ष डॉ. एस.के. मोहनपुरिया, अध्‍यक्ष रैगर छात्रावास प्रबंधन समिति जयपुर रामकिशौर रैगर, पूर्व महापोर अजमेर कमल बोकोलिया, प्रदेश अध्‍यक्ष दिल्‍ली नेतराम पिंगोलिया, प्रदेश अध्‍यक्ष मध्‍य प्रदेश सुरजमल बोकोलिया, प्रदेश अध्‍यक्ष मध्‍य प्रदेश युवा प्रकोष्‍ठ ब्रजेश हंजावलिया, प्रदेश अध्‍यक्ष दिल्‍ली युवा प्रकोष्‍ठ प्रवीण कुर्डिया, चुनाव अधिकारी रैगर महासभा धन्‍नालाल शेरावात, पार्षद नगर निगम जयपुर कमलेश कांसोटिया आदि  l

जिस महान एवं पवित्र उद्देश्य को लेकर हमारे महापुरुषों ने संगठन बनाने की शुरुआत की थी । हमने उस लक्ष्य को प्राप्त किया भी है कि वर्तमान में रैगर समाज में सामाजिक संगठनो की कोई कमी नहीं है अभी तक समाज की विभिन्न संगठनो का जो गठन हुआ हैवह मात्र 2,000 सदस्यों से लेकर अधिक से अधिक 5,000 सदस्यों की एक इकाई तक सीमित हो गए है । इस प्रकार इकाईयां भी एकजुट न होने के कारण, हम इन सब इकाईयों के द्वारा देश के सार्वजनिक जीवन पर अपना प्रभाव डालने तथा उसके सभी क्षेत्रों में अन्य समाजों के साथ अपनी सत्ता स्थापित करने में समर्थ नहीं हुए हैं।

यहाँ पर मेरी इच्छा सामाजिक विषय पर विचार करने की थी, लेकिन युवा महासम्‍मेलन के समाप्ति तक सभी विचार अदृश्य हो गए और मैं ख़ामोश हो गया । आखिर में तीनो दिवंगत महापुरुषों ने मुझे कान में पूछा : " रघुबीर सिंह गाड़ेगाँवलिया; तुम्हारी ख़ामोशी का राज क्या है ?" मैंने तुरंत जबाब दिया : "मैं खामोश हु क्योंकि मुझे तानाशाही नेतृत्व से डर है कही मुझे सतर्क रहने की चेतावनी ना मिल जाए, क्योंकि रैगरों का मीडिया डर की राजधानी में रहता है, डर का माहौल हर जगह नहीं होता है, उन्हीं के आसपास होता है जो समाज का सच्चा आईना दिखाते है और सामाजिक आर्थिक विकास के मसलों पर बोलते हैं !"  

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