Wednesday, December 7, 2016

सन्देश

जीवन की प्रगति में सहायक है समाज
जब कोई समाज अपने ही मूल स्वरूप से लज्जित होने लगे तब समझ लो की उसका अन्त निकट आ गया मैं यद्यपि समाज का एक नगण्य घटक हूॅ, किन्तु मुझे अपने समाज पर गर्व है और मैं स्वयं को गौरवान्वित अनुभव करता हॅू। हम विश्व के उस सर्वोत्तम समाज सुधारक साहित्यकार राजनीतिकार और मनीषियों की संतान है जो विश्व में अद्वितीय रहे है। हमे आत्मविश्वासी बनना चाहिए और अपने समाज को गर्व करना चाहिए। जब कभी हम दूसरे समाज की प्रभुत्ता स्वीकार करेगें तभी हम अपनी स्वाधीनता खो देगें और अपनी समस्त चिंतन प्रतिभा समाप्त कर बैंठेगे अन्य समाज के पास अगर कुछ श्रेष्ट है तो उसे ग्रहण करो न की उसका बिना विचारे अनुकरण करो।

    यह हमारा समाज ही है जो हमारे लिए जीवन मे आगे बढ़ने के लिए उत्प्रेरक का कार्य करता है। अगर समाज का डर न हो तो इंसान, इंसान नहीं रह सकता है। हम हर पल समाज के आगोश में रहते हैं क्योंकि हम समाज का ही महत्वपूर्ण अंश हैं। समाज की छोटी-छोटी बातें हमें कुछ सकारात्मक व सार्थक कार्य करने के लिए प्रेरित करती हैं साथ ही गलत करने से रोकती भी है।

    एक प्रसंग याद आता है कि एक बार एक शहर में आकाल पड़ा पूरा शहर भोजन के दाने-दाने को तरस गया था। उसी शहर में एक बौद्ध भिक्षु भिक्षा मांगने निकले और एक बुढ़िया से कहा कि मां कुछ खाने को है तो दे, भूख लगी है। बुढ़िया ने खीजकर जबाब दिया घर में कुछ भी नहीं है हमारे परिवार ने भी 2 दिनों से भोजन नहीं किया है। बौद्ध भिक्षु ने कहा कि मां ये जो दरवाजे की मिट्टी है वही मेरी झोली में डाल दे। बुढ़िया को अचरज हुआ किन्तु बिना किसी सवाल किये उसने दरवाजे के पास से थोड़ी मिट्टी उठाकर उसकी झोली में डाल दिया। यही उपक्रम अगले 3 दिनों तक चला। रोज बौद्ध भिक्षु भिक्षा मांगने और बुढ़िया के हाथ से मिट्टी लेकर चले जाते। चैथे दिन बौद्ध भिक्षु ने बुढ़िया को प्रतीक्षा करते पाया। बौद्ध भिक्षु को देखते ही बुढ़िया ने उसे बड़े सम्मान से बिठाया और भोजन कराया। भोजन के पश्चात बुढ़िया ने झोली में मिट्टी डालने का रहस्य पूछा। बौद्ध भिक्षु ने बताया कि मां तेरे पास 3 दिनों पश्चात भोजन सामग्री आई तो तू मेरी प्रतीक्षा कर रही थी क्योंकि तेरी समाज को दान देने की आदत समाप्त नहीं हुई थी और इसी कारण मैने अपने झोले में मिट्टी भी इसलिए डलवाई थी कि यह आदत समाप्त होना भी नहीं चहिए। समाज को तन-मन-धन से दान व सहयोग की आदत जीवन पर्यन्त बनी रहनी चाहिए।

समाज कार्य का सार्थक सूत्र है ‘‘संगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसि जानताम्। देवा भागं यथा पूर्वे संजानानाउपासते।।’’ अर्थात कदम से कदम मिला कर चलो, स्वर से स्वर मिला कर बोलो, तुम्हारे मनों में समान बोध हो, पूर्वकाल में जैसे देवों ने अपना भाग प्राप्त किया, सम्मिलित बुद्धि से कार्य करने वाले उसी प्रकार अपना-अपना अभीष्ट प्राप्त करते हैं। जैसे छोटी-छोटी कोशिकाऐं ही पूरे शरीर का जीवित रखती है उसी प्रकार समाज का अंश अर्थात व्यक्ति ही समाज को जीवत रख सकता है समाज कार्य के लिए एक छोटा सा शैर है। किः-

‘‘समाज रूपी मशीन के हम सभी व्यक्ति कल-पूर्जे हैं
जंग लगकर मरने से अच्छा है घिस-घिसकर खतम होना’’
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संदेश
 
मेहरा समाज म.प्र., भोपाल के प्रयासों के अंतर्गत सामाजिक पत्रिका श्मेहरा संदेशश् प्रकाशित की जा रही है, जिसमें मेहरा समाज की गतिविधियों की जानकारी तो प्रकाशित होंगी, साथ में समाज के विवाह योग्य युवक-युवतियों की जानकारियाॅं भी शामिल की जाएंगी, जो कि हमारे सामाजिक सरोकारों के हित में है, और समसामयिक समाज उपयोगी अन्य जानकारियों को समावेशित किया जायेगा, जिससे यह पत्रिका निश्चित रूप से एवं समग्रता के साथ हमारे समाज के प्रत्येक वर्ग, प्रत्येक साथी के लिए लाभदायक होगी ! अतः पत्रिका के संपादक महोदय को बहुत सारी शुभकामनाएं ! मैं हमारे समाज द्वारा आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में सम्मिलित होता हूंॅं इस दौरान मुझे हमारे वरिश्ठजनों एवं सक्रिय कार्यकताओं से मिलने का अवसर मिलता है, जो कि मेरे लिए बडा ही अदभुद एवं प्रेरणास्पद रहता है ! सिवनी समाज से मैंने एक चीज सीखी है, वह यह कि अपने वरिश्ठों को कैसे खुश रखा जाए ! छिन्दवाडा से मैंने सीखा है कि समाज के लिए कैसे तुरन्त फलदायी कार्यक्रम आयोजित किए जाएं ! मंडला, जबलपुर से मैंने सीखा है कि हम समाज में युवकों और वरिश्ठजनों के सामंजस्य के आधार पर प्रेरणास्पद कार्यक्रम आयोजित करें ! मैं अभी हाल ही में इन्दौर और होशंगाबाद में मेहरा गढवाल समाज द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में शामिल हुआ और इन दोनों कार्यक्रमों में सामाजिक एकता का ताना बाना कैसे स्थापित किया जाए, यह देखा ! मैंने नरसिंहपुर में 2-3 सामाजिक कार्यक्रम, बैठकों में उपस्थिति दी है, वहाॅं देखा है सामाजिक सौहार्दता का अनुपम स्वरूप ! बैतूल में समाज की जिज्ञासा और कुछ करने की हमेशा ललक दिखाई पडती है !
मुझे अवसर मिलता है, समाज के भाई-बहनों, वरिश्ठजनों एवं सक्रिय व उत्साही सामाजिक कार्यकर्ताओं से बात करने का और अपनीे बातें शेयर करने का ! कुछ गंभीर बाते हैं, जिन पर आज हमें विचार करने की आवश्यकता है ! हम सभी साल में समाज सेवा के नाम पर एक श्युवक युवती परिचय सम्मेलनश् आयोजित करके अपने सामाजिक कत्र्तव्यों को पूरा हुआ, समझ लेते हैं, यह औपचारिकता हमें अपने दायरों मे ंसीमित तो कर ही रही है, साथ में इससे आपसी भाईचारा, अपनापन और सामाजिक रिश्ते भी प्रभावित हो रहे हैं ! समाज कार्य, ईश्वरीय कार्य है, आत्म शुद्धि का द्वार है ! समाज के दुख दर्द, कश्ट वेदना, अभाव-अशिक्शा, अत्याचार को दूर करना समाज सेवा के विविध रूप हैं ! एकता का प्रचार करना, नारी सम्मान, दहेज उन्मूलन, मदयनिशेध, अन्ध श्रद्धा निवारण, नैतिक आचरण की प्रेरणा इत्यादि समाज सेवा के विराट रूप हैं ! समाज सेवा छोटी हो या बडी, इसकी कीमत नहीं है ! किस भावना से अथवा किस उददेश्य से की जा रही है, उसकी कीमत है ! ये बातें हम सभी समझते भी हैं, लेकिन कैसे हो, कहाॅं से हो, यहीं दुविधा है ! वृहद लक्श्य प्राप्ति के संदर्भ में कहा जाए तो आज हमे, हमारी सामाजिक एकता की जरूरत है और उसके माध्यम से हमारे सामाजिक संगठनों को मजबूत बनाने की सर्वप्रथम आवश्यकता है !
गत वर्श जयपुर में एक कार्यक्रम के दौरान आशीश नंदी जो कि एक समाज शास्त्री हैं, उन्होंने बडा ही दुर्भाग्यपूर्ण वक्तव्य दिया, जिसे हमारा समाज कदापि स्वीकार नहीं कर सकता एवं हम इसकी निंदा करते हैं ! आशीश नंदी ने कहा कि हमारे देश में श्एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के लोग सबसे ज्यादा भ्रश्ट हैंश् ! आशीश नंदी के इस घिनौने वक्तव्य पर हमारे अनुसूचित जाति के किसी भी संगठन द्वारा कोई प्रतिक्रिया नहीं प्रकट की गई, यह कितना दुखद है कि हम हमेशा सोए रहते हैं, एक व्यक्ति खुले आम हमारे समाज को अपमानित कर रहा है और हम अलमस्त, और नींद का मजा लेते हैं ! विभिन्न न्यूज चैनलों पर आशीश नंदी के इस वक्तव्य पर कई राजनीतिक, सामाजिक एक्सपर्टाें द्वारा कई प्रकार की चर्चांए की गई एवं किसी के भी द्वारा इसे स्वीकार नहीं किया गया एवं सर्वथा दुर्भाग्यपूर्ण बताया गया ! गत दिनों एक राजनैतिक व्यक्ति ने दलित समाज को, रावण का वंशज बताया, फिर भी हम शांत रहे, कोई प्रतिक्रिया नहीं ! म.प्र. सरकार द्वारा अनुसूचित समाज के कल्याण एवं विकास के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित की जाती हैं, इन योजनाओं का वित्तीय पहलू की आज की महंगाई की दरों के अनुसार संवीक्शा की आवश्यकता है लेकिन इस ओर सही ध्यान नहीं दिया गया ! सामाजिक कुरीतियों पर पिछले 50 साल से हमारे वरिश्ठजन और सक्रिय सामाजिक लोग चिंतित दिखाई देते है, लेकिन आज तक कोई सकारात्मक पहल नहीं की गई है ! 
हमारा समाज अनुसूचित जाति के अंतर्गत आता है और मैंने इस संदर्भ को लेते हुए कई बार यह कहा है कि अब समय आ गया है कि हम सिर्फ जिला स्तर पर ही नहीं अपितु प्रदेश व राश्ट्रीय स्तर पर एक हो जाएं, इसके पीछे यही कारण रहा है कि हमारे सम्मान, हमारे संवैधानिक अधिकारों की रक्शा सिर्फ हम ही कर सकते हैं, दूसरे नहीं ! हमें हमारी जडों को समझना होगा और इस हेतु हमारे समाज के प्रत्येक वर्ग, प्रत्येक युवक-युवती, वरिश्ठजनों को अपनी अपनी भूमिका की समीक्शा करनी होगी, हम सभी सिर्फ अपने अपने परिवारों और घरों तक सीमित नहीं रह सकते ! आज आवश्यकता है परस्पर विचारों के आदान प्रदान की, समाज संगठनों के कार्यकलापों की समीक्शा और नई नई योजनाएं बनाने की जिससे कि प्रत्येक विकास की मूलभूत आवश्यकता श्मेहरा समाज की प्रदेश स्तर पर और अखिल भारतीय स्तर पर अखण्ड एकताश् को सुदृढ बनाने की ! मेरा अनुभव है कि हमारे पास पिछले 10-20 सालों से कहने लायक कुछ विशेश नहीं है, बल्कि हमारे नैतिक व्यवहार पर हमारी व्यक्तिगत महत्वकांछाएं भारी पडी हैं ! अतः आओ हम सभी दोस्त हो जाएं, भाई-भाई हो जाएं, फिर देखिए हमारी एकता की यह हलकी सी किरण, कैसे बडे स्तर पर सिर्फ हमारे सामाजिक सरोकारों के ही संदर्भ में नहीं, अपितु अखिल भारतीय स्तर पर हमारे सम्मान और संवैधानिक अधिकारों को मजबूती के साथ संरक्शित करेगी !
हमारी समिति द्वारा दिनांक 01-03-2015 को सामाजिक वेबसाइट ूूूण्उमीतंेंदकमेीण्पद लांच की जा रही है ! इसमें समाज उपयोगी समग्र जानकारियाॅ डाली जाएंगी, जिससे हमारा मेहरा समाज, समग्रता से लाभान्वित होगा ! हमें श्री धीरज पूर्वे, श्री सुनील बाबू डेहरिया और उनके साथियों का इन तकनीकि कार्यों में सतत मार्गदर्शन एवं सहयोग मिलता है, इन्हीं के सम्पूर्ण सहयोग से यह पत्रिका और यह बेवसाइट चालू की जा रही है ! हम हमारे समाज के इन साथियों के उज्ज्वल भविश्य की कामना करते हैं ! 
 
अंत में सिर्फ एक वाक्य - न्यूसेंस वैल्यू के प्रभाव को रोककर ही व्यक्तित्व निर्माण व विकास हो सकता है, जो कि हमारी सामाजिक एकता का आधार होगा ! 

यह पत्रिका मेहरा संदेश समाज के लिए समग्र उपयोगी हो ! 
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समाज के सभी भाईयों/बहनों को मेरी ओर से वदन एवं अभिनन्दन। यह नूतन वर्ष 2015 आपको खुशियों से परिपूर्ण हो एवं समृद्धिदायक हो। मैं आपसे दो विषय पर, गम्भीरता से विचार करने हेतु आग्रह कर रहा हॅंू। प्रथम यह कि, मैं आप सभी से मेहरा समाज की एकता के लिए विनम्र अनुरोध करता हॅू। एकता से हम वह सभी हासिल कर सकते हैं, जो हम राजनैतिक उपलब्धि, सामाजिक विकास एवं आर्थिक विकास की दृष्टि से चाहते हैं। हमें अपने बच्चों की शिक्षा पर बहुत ध्यान देना होगा। उनमें इसी समय से अच्छे संस्कार देना होगा जैसे माता-पिता से आदर सम्मान से बात करें, अपने भाई बहनों से प्यार एवं गरीब अमीर सभी से एक भाव से वे व्यवहार करें। उन्हें योगा, व्यायाम, दिनचर्या एवं दुर्गुणों से मुक्ति आदि सभी अच्छी आदतों का समावेष कराया जावे। उनका शारीरिक मानसिक, सामाजिक एवं शैक्षणिक विकास अर्थात सर्वांगीण विकास हो। उन्हंे घर का शुद्ध भोजन करने एवं सुबह उठने की आदत को परिपक्व बनाया जावे। दूसरी बात मैं यह कहना चाहता हॅंू कि अच्छी शिक्षा ग्रहण करने के बाद भी जिन्हें सरकारी नौकरी और प्रायवेट नौकरी नही मिली अेोर वे धन की कमी के कारण बहुत छोटे स्तर पर स्वरोजगार चला रहे हैं या नही चला रहे हैं इन सभी प्रकार के लोगों के लिए मेरा सुझाव है कि, शासन की योजना के आधार पर स्वरोजगार उद्यमिता विकास प्रशिक्षण प्राप्त कर लाभ अर्जित करें। स्वरोजगार की पहली सीढ़ी है, ‘‘प्रशिक्षण’’ हमारे आर्थिक विश्लेषण यह कहते हैं कि आज के सभी सफल व्यक्ति जन्मजात करोड़पति नहीं थे। वह अनुभव प्रशिक्षण एवं सुविधाओं का लाभ लेकर उच्च शिखर पर पहुंचे हैं। इसलिये शासन चाहता है कि आप प्रशिक्षण प्राप्त कर स्वरोजगार स्थापित करें। इससे सफलता सुनिश्चित होती है । प्रशिक्षण ‘‘उद्यमिता विकास प्रशिक्षण’’ से निःशुल्क प्राप्त करें।

उक्त प्रशिक्षण, उद्योग संचालनालय म.प्र. शासन, जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्रों, उद्यमिता विकास केन्द्र (सेडमैप), एम.पी. काॅन, एम.एस.एम.ई. इंदौर, क्रिस्प भोपाल, एम.पी. एग्रो इंडस्ट्रीज, अन्त व्यवसायी निगम, आदिवासी वित्त विकास निगम एवं पिछड़ा वर्ग एंव अल्पसंख्यक कल्याण विभाग प्रेरणा भारती सामाजिक कल्याण संस्था, भोपाल द्वारा आदि संस्थाओं द्वारा आयोजित कराये जाते है    
म.प्र.शासन एवं केन्द्र शासन द्वारा प्रमुख ऋण योजनायें निम्नानुसार हैः-
1.    ‘‘मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना‘‘ अन्तर्गत 18 से 45 वर्ष के युवा, महिलाएॅं/पुरूष उद्योग सेवा व्यवसाय हेतु 20,000/- रूपये से 10 लाख रूपये तक ऋण बगैर गारंटी के एवं 5ः ब्याज अनुदान तथा 1 लाख से 2 लाख वर्गवार मार्जिन मनी अनुदान प्राप्त कर स्थापित कर सकते हैं। आवेदक को मात्र 5वीं पास होना ही आवश्यक है। वह मध्यप्रदेश का मूल निवासी हो। इस योजना में आय का बंधन नहीं है। 
2.    ‘‘मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना’’ में युवा 10 लाख से 1 करोड़ रूपये तक ऋण उद्योग एवं सेवा हेतु प्राप्त कर सकते हैं। योजनान्तर्गत 18 से 40 वर्ष तक आयु हो, 10वीं पास हों तथा म.प्र. का मूल निवासी हो। ऐेसे युवाओं को योजना में ऋण के साथ 5ः ब्याज अनुदान 7 वर्ष तक तथा 15 प्रतिशत मार्जिन मनी/पूँजीगत अनुदान 12 लाख तक प्राप्त होता है। योजना में आय का बंधन नहीं है। योजनान्तर्गत 2 या 2 से अधिक शिक्षित बेरोजगार मिलकर उच्च स्तर का उद्योग सेवा संस्थान स्थापित कर सकते हैं। 
उक्त दोनों ऋण योजनाओं का लाभ म.प्र. के किसी भी जिले के जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र से प्राप्त कर सकते हैं।
3.    ‘‘प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम’’ में उद्योग हेतु 25 लाख तक ऋण एवं पात्रतानुसार शहरी क्षेत्र में 15ः से 25ः तक अनुदान तथा ग्रामीण क्षेत्र में 25ः से 35ः तक अनुदान प्राप्त कर, उद्यम स्थापित कर सकते हैं। इस योजना में लाभ प्राप्त करने हेतु आवेदक के परिवार की आय का कोई बन्धन नहीं है। 8वीं से कम शिक्षा वालों को 10 लाख तक उद्योग एवं 5 लाख तक सेवा हेतु तथा 8वीं या इससे अधिक शिक्षा वालों को 25 लाख तक उद्योग तथा 10 लाख तक सेवा हेतु ऋण एवं उपरोक्तानुसार अनुदान प्राप्त होता है। टर्म लोन पर नवीन उद्योगों को 5ः  ब्याज अनुदान 5 वर्ष तक प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त मध्यप्रदेश शासन में पात्र लघुउद्योगों के लिए कच्चे माल के क्रय पर प्रवेश कर से 5 वर्ष तक का छूट आदि सुविधाऐं भी पात्रतानुसार प्राप्त होंगी। इस योजना का लाभ पूरे भारत वर्ष में प्रत्येक जिले के जिला उद्योग केन्द्र, खादी ग्रामोद्योग बोर्ड या खादी तथा ग्रामोद्योग आयोग से प्राप्त कर सकते हैं।
4.    मुख्यमंत्री युवा इंजीनियर कान्ट्रेक्टर योजना के अन्तर्गत लाभ लेकर, किसी भी निर्माण विभाग जैसे- पीडब्ल्यूडी, सिंचाई विभाग, रेलवे, पी.एच.ई., जिला पंचायत आदि में कान्ट्रेक्टर के रूप में कार्य कर सकते हैं।
5.    शासकीय भूमि सस्ती लीज पर उद्योग हेतु उपलब्ध- उक्त योजनाओं का लाभ आप जिले में स्थित जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र के माध्यम से ले सकते है। उद्यम स्थापित करने के लिये भूमि भवन में अधिकांशतः ज्यादा पूंजी नहीं लगाना चाहिये। ताकि अनावश्यक रूप से ऋण की किस्त एवं ब्याज का भार न पड़े। इसलिये किराये के भवन मंे उद्यम प्रारंभ किया जावे तो अधिक लाभदायी होता है। परंतु जहां जमीन लेना बहुत ही आवश्यक हो, तब शासन के औद्योगिक क्षेत्रों में सस्ती एवं 99 वर्ष तक की लीज पर भूमि किराये पर लेकर उद्यम स्थापित किये जा सकते हैं। म.प्र. औद्योगिक केन्द्र विकास निगम द्वारा प्रदेश में मालनपुर, पीथमपुर, मंडीदीप, जबलपुर, इंदौर, भोपाल, सिवनी आदि क्षेत्रों में भी जमीन प्राप्त की जा सकती है। इन औद्योगिक क्षेत्रों में बिजली, पानी, रोड की व्यवस्था शासन द्वारा की जाती है। 
   
कृपया सभी योजनाओं का लाभ लेने उद्यमी/शिक्षित बेरोजगार अपने जिले के महा प्रबंधक, जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र या ‘‘प्रेरणा भारती संस्था,’’ भोपाल के संरक्षक/संचालक श्री एस.एल. मेहरा से भी सम्पर्क कर सकते हैं। मेरा सम्पर्क नंबर-9753680712 है। अभी तक संस्था द्वारा 180 युवक युवतियों को एक माह का उद्यमिता विकास प्रशिक्षण प्रदान किया गया। मार्गदर्शन बावत् प्रदेश के नरसिंहपुर, हरदा, बैतूल, भोपाल एवं होशंगाबाद में निःशुल्क उद्योग व्यवसाय जागरूकता शिविर लगाये गये है। मैं मेहरा समाज के सभी बन्धुओं से कहना चाहता हूँ कि उक्त वर्णित योजनाओं का लाभ अवश्य लें। ताकि हमारे समाज का आर्थिक विकास हो, तथा बेरोजगारों को रोजगार प्राप्त हो सके। जिससे वे आत्म निर्भर बने।
 
अंत में यह कहते हुये, अपनी बात खत्म करना चाहता हॅूं कि, कोई भी मंजिल पाना आसान नहीं होता है। चाहे वह शिक्षा गृहण करना या नौकरी प्राप्त करना हो। सभी में समस्यायें आती हैं, सभी रास्तों में कांटे होते हैं, पर हमें घबराना नहीं चाहिये। हमें साहस, योग्यता, संयम एवं विनम्रता दर्शाते हुये अपनी मंजिल पर पहुंचना चाहिये। किसी ने कहा भी है कि,‘‘खुदी को कर बुलंद  इतना कि, खुदा तुमसे ये पूछे कि, बता  तेरी  रजा  क्या है।’’  हमें हर तरह से अपनी योग्यता साबित करनी होगी। किसी और कवि ने भी कहा है कि, ‘‘कामयाबी की चाहत सभी रखते हैं,परंतु मिलनी उन्ही को है, जो पूरा प्रयास करते हैं।’’ 
शुभकामनायें 

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